सचिन तेंदुलकर ने बेहद ही कम उम्र में अपनी प्रतिभा से सभी को हैरान कर दिया था। महज 16 साल की उम्र में टीम इंडिया की ओर से डेब्यू करने वाले सचिन ने स्कूल स्तर के कई बड़े टूर्नामेंट में रिकॉर्ड पारियां खेली जिसमें कांबली के साथ निभाई गई रिकॉर्ड साझेदारी उनकी सबसे ज्यादा मशहूर हैं।
सचिन तेंदुलकर के स्कूल के दिनों की एक घटना को याद करते हुए भारतीय टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने बड़ा खुलासा किया है। वेंगसरकर ने सचिन की उस पहली झलक के बारे में बताया, जब मास्टर ब्लास्टर स्कूल टूर्नामेंट्स में काफी रन बना रहे थे।
वेंगसरकर ने कहा कि उन्होंने पहली बार तेंदुलकर को तब देखा था जब वह भारतीय टीम 1988 में मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए अभ्यास कर रहे थे। वेंगसरकर ने स्पोर्टसकीड़ा के साथ फेसबुक लाइव में कहा, "मैंने सचिन के बारे में सुना था, क्योंकि वह उस समय स्कूल टूर्नामेंट्स में काफी सारे रन बना रहे थे। वे टूर्नामेंट 100 साल पुराने हैं और उन्होंने मुंबई तथा भारतीय टीम को कई सारे खिलाड़ी दिए हैं।"
पूर्व कप्तान ने कहा, "उस समय मैं भारतीय टीम का कप्तान था और न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने जा रहा था। हम वहां अभ्यास कर रहे थे। हमारे कोच वासुदेव परांजपे सचिन से काफी प्रभावित थे और उन्होंने कहा था इस लड़के को देखना वह अलग टैलेंट है।"
उन्होंने कहा, "वे सचिन को मैदान पर ले आए। मुझे उन्हें नेट्स पर बल्लेबाजी करते देखना था। मैंने कपिल देव, अरशद अयूब, मनिंदर सिंह, चेतन शर्मा से गेंदबाजी करने को कहा। उन्होंने कहा कि ये क्या हो रहा है। हम अंडर-15 के लड़के को गेंदबाजी क्यों करें।"
पूर्व मुख्य चयनकर्ता ने कहा, "तो मैंने उनसे कहा कि वह स्कूल टूर्नामेंट्स में लगातार रन बना रहे हैं। इसलिए हमें उसे बल्लेबाजी करते देखना है। उन्होंने बल्लेबाजी की। वे सभी गेंदबाज जान-माने क्रिकेटर थे, लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि वे गेंदबाजी करेंगे, लेकिन सचिन ने काफी प्रभावित किया। उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाजी की।"
वेंगसरकर ने बताया कि उन्होंने सचिन को मुंबई टीम में लाने के लिए चयन समिति की बैठक में बात की। उन्होंने कहा, "उसी शाम को हमारी मुंबई टीम की चयन समिति की बैठक होनी थी। मैंने उसमें हिस्सा लिया। मैंने उन्हें सचिन के बारे में बताया। मैंने उन्हें बल्लेबाजी करते देखा है वह बेहतरीन हैं इसलिए उन्हें 15 सदस्यीय टीम में चुनें।"
दांए हाथ के इस पूर्व बल्लेबाज ने कहा, "उन्होंने कहा कि यह उनके लिए जल्दबाजी होगी। अगर वह चोटिल हो गए तो हम पर दोष आएगा। इसलिए कुछ दिन इंतजार करते हैं। मैंने उनसे कहा कि आप उन्हें 15 सदस्यीय टीम में रखें ताकि वह टीम के साथ रहें और टीम के वातावरण के बारे में सीख सखें।"
वेंगसरकर ने कहा कि सचिन के सामने जैसे ही मौके आते गए वह उनको भुनाते गए और अगले साल भारतीय टीम के लिए चुने गए। उन्होंने कहा, "दलीप ट्रॉफी में उन्होंने शतक जमाया, ईरानी ट्रॉफी में उन्होंने शतक जमाया। इसके बाद वह 1989 में पाकिस्तान गए। सचिन तेंदुलकर इस तरह से आए, बाकी इतिहास है।"