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जब राहुल द्रविड ने स्टीव वॉ के तंज़ का यूं दिया जवाब

द्रविड़ ने एक क़िस्सा बताया जब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ के कारण उनका उनका कंस्ट्रेशन भंग हो गया था.

Written by: India TV Sports Desk
Published on: December 22, 2017 17:16 IST
Dravid, Waugh- India TV Hindi
Dravid, Waugh

राहुल द्रविड को द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा जाता था लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब ये मज़बूत दीवार ढह रही थी. ये बात ख़ुद राहुल ने बताई है. बेंगलुरु में आयोजित गो स्पोट्र्स एथलीटस कार्यक्रम में द्रविड़ ने एक क़िस्सा बताया जब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ के कारण उनका उनका कंस्ट्रेशन भंग हो गया था.

द्रविड़ ने 2001 के मशहूर कोलकाता टेस्ट का ज़िक्र किया जिसमें भारत ने पहली पारी में पिछडऩे के बावजूद ज़बरदस्त कमबैक किया था. वीवीएस लक्ष्मण इस मैच में 281 रन बनाकर रातों रात स्टार बन गए थे वहीं द्रविड़ ने 180 रनों की यादगार पारी खेली थी. 

द्रविड़ ने बताया, ''ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे के दौरान मैं ज्यादातर असफल ही रहा था. रन न बना पाने के कारण टीम मैनेजमेंट ने मेरे बैटिंग क्रम में बदलाव कर दिया था. उस मैच में मैं 6वें नंबर पर बैटिंग के लिए उतरा था. जब मैं मैदान में आया तो ऑस्ट्रेलिया कप्तान स्टीव वॉ मेरे पास आए और बोले- राहुल अब नंबर 6 पर आ गए, अगले मैच का क्या? क्या नंबर 12 पर दिखोगे. स्टीव ने मेरा मनोबल तोडऩे वाला काम किया था. इस कारण शुरुआती ओवरों में मुझे दिक्कत हो रही थी लेकिन आख़िरकार मैंने अपनी पारी पर फोक्स किया और सोचा अभी मेरे पास भविष्य के बारे में सोचना का मौका नहीं है. मैंने हर गेंद बेहतर तरीके से खेलने की कोशिश की और आख़िर में जब मैं आउट हुआ तो 180 रन बना चुका था. भारतीय टीम के लिए यह स्कोर काफी थे. अब दबाव में कंगारू टीम थी. हमने मैच जीता फिर सीरिज भी जीतकर खुद को साबित किया.''

ग़ौरतलब है कि तेज़ गेंदबाज़ ब्रेट ली से एक बार पूछा गया था कि उन्हें किस बल्लेबाज़ को गेंद फेंकने में सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी तो उन्होंने सचिन, लारा का नाम लेने की बजाय कहा था- राहुल द्रविड़. ली ने कहा था कि द्रविड़ की कंस्ट्रेशन तोडऩा उनके लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा. उन्होंने कई बार द्रविड़ को गेम दौरान उकसाया, कई इशारे किए, बाउंसर मारे लेकिन द्रविड़ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. आखिर में जब मैं थक जाता था तो द्रविड़ मेरी खूब पिटाई करते थे. ब्रेट ली के इस बयान के बाद द्रविड़ की उस इमेज को फायदा मिला जिसमें दिग्गज क्रिकेटरों ने उन्हें द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा था.

44 साल के राहुल द्रविड़ ने बताया कि क्रिकेट में सफलता और असफलता एक सिक्के के दो पहलू हैं. अगर सफलता की बात करें तो मैंने असफलता का ही ज्यादातर स्वाद चखा है. क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स में मैं कुल 604 बार बैटिंग के लिए मैदान में उतरा. इनमें से 410 बार ऐसा हुआ जब मैं 50 का आंकड़ा पार नहीं कर पाया. तो ऐसे में मैं तो सफलता पर बात करने के लिए सबसे ज्यादा योग्य हूं। ऐसे में इंडिया के सबसे सफल बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी पीछे नहीं हैं। इंडिया के लिए 100 शतक जडऩे वाले सचिन भी 781 बार खेलने के लिए उतरे. इनमें 517 बार वह 50 के इस आंकड़े को पार नहीं कर पाए. ऐसे में वह भी सफल होने से ज्यादा असफल रहे हैं। 

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