ऑस्ट्रेलिया एक ऐसी क्रिकेट टीम है जो अपने जुझारुपन के लिए जानी जाती है। लेकिन ये जुझारुपन कभी-कभी खेल भावना की सीमाएं भी लांघ जाता है। वैसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी मैदान में अपशब्दों के इस्तेमाल के लिए बदनाम भी बहुत हैं। यही वजह है मौजूदा दौरे के पहले उन्हें अपनी ज़बान पर लग़ाम रखने की हिदायत दी गई है, ख़ासकर टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के मामले में जो ग़ुस्से में और ख़तरनाक साबित हो सकते हैं।
यहां हम बात कर रहे हैं ऑस्ट्रेलिया के 2013 के भारत दौरे की जब उसके चार खिलाड़ियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत वापस घर बेज दिया गया था। ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ के पहले दो मैच हार चुकी थी। दूसरे टेस्ट मैच में तो उसने रिकॉर्ड ही बना दिया था। वह ये मैच पारी और 135 रन से हारी थी। इस तरह वह क्रिकेट टेस्ट इतिहास में पहली ऐसी टीम बनी जो अपनी पहली पारी घोषित करके पारी से हारी हो।
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इस सिरीज़ के दो मैच और होने थे और दूसरे मैच में पारी से हार के बाद उसका मनोबल बहुत गिरा हुआ था। उसके सामने बस अब एक ही चारा था और वो ये कि वह किसी तरह सिरीज़ ड्रॉ कर ले।
तीसरे मैच के पहले ऑस्ट्रेलिया तब सुर्ख़ियों में आ गई जब शैन वॉटसन, जैम्स पैटिंसन, मिशल जॉन्सन और उस्मान ख़्वाजा का घर वापसी का टिकट कट गया। तब के कप्तान माइकल क्लार्क ने बताया कि इतना कठोर फ़ैसला इसलिए करना पड़ा क्योंकि ये चारों खिलाड़ी बार-बार टीम अनुशासन तोड़ रहे थे।
इस फ़ैसले पर ऑस्ट्रेलिया मीडिया में पूर्व खिलाड़ियों की खूब प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ ने इसे बेहद सख़्त बताया तो कुछ ने इसे सही ठहाराया। दरअसल टीम के प्रमुख कोच आर्थर ने सभी खिलाड़ियों से कहा था कि वे लिखित रुप में बताएं कि किस तरह दौरे पर प्रदर्शन बेहतर किया जा सकता है। इन चार खिलाड़ियों ने होमवर्क नहीं किया। वे इसके पहले भी अनुशासनहीनता कर चुके थे लेकिन इस बार टीम मैनेजमेंट ने बात को गंभीरता से लेते हुए चारों को स्वदेश रवाना कर दिया हालंकि उप कप्तान शैन वॉटसन बाद में दौरे में शामिल हो गए थे।