बावजूद इसके कि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ T-20 सिरीज़ भारत के नाम हो गई है, पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी आलोचकों के निशाने पर बने हुए हैं. T-20 सिरीज़ में धोनी का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा था. विकेटों के पीछे उनके प्रदर्शन की जरूर सराहना हुई लेकिन बल्ले से उन्होंने निराश ही किया, ख़ासकर दूसरे मैच में हार का ठीकरा धोनी के सिर फोड़ा गया. दूसरे T-20 में 197 के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया 53 रन से हार गई थी. इस मैच में हालंकि... धोनी ने 49 रन बनाए थे लेकिन जब वह कोहली के साथ बैटिंग कर रहे थे तब उनसे स्ट्राइक रोटेट नहीं हो पार रहा था और वह बड़े शॉट भी नहीं लगा पार रहे थे, जिसकी उस समय ज़रुरत थी. इस वजह से प्रति ओवर रन औसत बढ़ता गया और मैच भारत की ग़िरफ़्त से खिसकता गया.
ऐसा नहीं कि उम्र को लेकर भारतीय क्रिकेट में पहली बार किसी वरिष्ठ खिलाड़ी के प्रदर्शन और टीम में जगह को लेकर सवाल उठ रहे हों. इससे पहले भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में से एक सौरव गांगुली, स्पिननर अनिल कुंबले और ऑलराउंडर कपिल देव पर भी सवाल उठ चुके हैं. लेकिन इससे पहले खिलाड़ियों के खेल और उनकी बढ़ती उम्र पर मीडिया के उस वर्ग से सवाल उठता था जो क्रिकेट का एक्सपर्ट तो था लेकिन खेल के मैदान से उसकी एक दूरी थी. आज के दौर में मीडिया में एक्सपर्ट के रुप में वही खिलाड़ी धोनी पर सवाल उठा रहे हैं जो कभी टीम इंडिया के लिए खेला करते थे चाहे वो लक्ष्ण हो या अगरकर. सौरव गांगुली के मामल में उस वक़्त के वर्तमान कोच ग्रेग चैपल का रुख़ कठोर था लेकिन धोनी के मामले में बेशक़ मीडिया और कुछ क्रिरेट एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हों लेकिन कप्तान विराट कोहली और चीफ़ कोच रवि शस्त्री पूर्व कप्तान धोनी के पीछे डटकर खड़े हैं. यहां हम आपको एक बार फिर याद दिला रहे हैं कि किसकी नज़र में धोनी आज भी हैं टी-20 क्रिकेट के बॉस और किसकी नज़र में अब उन्हें टी-20 क्रिकेट से सन्यास लेने पर विचार करना चाहिए.
धोनी को युवाओं को मौक़ा देना चाहिए: वीवीएस लक्ष्मण
धोनी में अब वो बात नहीं रही: अजीत अगरकर
धोनी पर अंगुलियां उठाना निराशाजनक: सुनील गावस्कर
टीम को अभी धोनी की ज़रूरत: वीरेंद्र सहवाग
लोग धोनी पर उंगली क्यों उठा रहे हैं ?: विराट कोहली
ज़रूरी नहीं हर बार वही फिनिशर की भूमिका निभाएं: आशीष नेहरा