आधुनिक युग में भारतीय टीम के सफल कप्तानों में विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी का ही नाम आता है। दोनों ही कप्तानों ने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम को नई बुलंधियों पर पहुंचाया। धोनी की कप्तानी में जहां टीम इंडिया ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीती। वहीं कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने तीनों फॉर्मेट में लाजवाब प्रदर्शन किया।
बात इन दोनों कप्तानों की आंकड़ों की करें तो धोनी ने 200 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी की है जिसमें उन्होंने 110 मैच जीते हैं। इस दौरान उनका जीत का प्रतिशत 59.52 का रहा है। वहीं कोहली ने 89 मैचों में टीम इंडिया की अगुवाई की है और इनमें से 62 मैच जीते हैं। कोहली का वनडे में जीत का प्रतिशत 71.83 का रहा है। बात टेस्ट मैच की करें तो धोनी ने 60 मैचों में 27 मैच जीते वहीं कोहली अभी तक 55 में से 33 मैच जीत चुके हैं।
भारतीय पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन का मानना है कि इन दोनों ने अपने स्टाइल में कप्तानी कर दो अलग टीम बनाई और दोनों ही टीमों ने अपने तरीके से सफलता हासिल की।
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टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में शिवरामकृष्णन ने कहा "विराट कोहली एक बहुत ही सक्रिय और सहज कप्तान हैं। यह उसे बहुत ऊर्जा देता है और वह अभी भी बेहतर और बेहतर हो रहा है। कप्तान के रूप में कोहली के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वह टीम को आगे से लीड करता हैं। न वह केवल बल्ले से रन बनाते हैं, बल्कि उसके पास ऊर्जा भी है।"
शिवरामकृष्णन ने आगे कहा “दोनों अलग-अलग कप्तान (कोहली और धोनी) हैं, विराट एक आक्रामक और अभिव्यक्त प्रकार के कप्तान हैं और एमएस शांत रहते हैं। आप शायद ही उनके चेहरे को पढ़ सकें और यह जानना भी मुश्किल होता है कि उनका शरीर क्या कह रहा होता है। लेकिन एमएस धोनी गेंदबाजों के अधिक कप्तान है जो बॉलर्स के लिए एडवांटेज है।"
विराट कोहली की 1990 और 2000 की दशक की ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ तुलना करते हुए लक्ष्मण ने कहा "विराट कोहली हार के बारे में नहीं सोचते क्योंकि वह जीतने के लिए खेलते हैं। ऐसा ही ऑस्ट्रेलिया 90 और 2000 के दशक में किया करती थी। यही वजह है कि वो इतने सफल थे। आप जाओ, कोशिश करो और मैच को जीतो अगर आप हार जाते हो तो यह खेल का एक हिस्सा है।"