नागपुर: भारतीय कप्तान विराट कोहली और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भले ही केंद्रीय अनुबंध में पर्याप्त वृद्धि करने के लिये प्रशासकों की समिति प्रमुख विनोद राय से आग्रह करने के लिये तैयार हैं लेकिन वेतन में बढ़ोतरी इतनी आसान नहीं है क्योंकि इसके लिये बीसीसीआई की आम सभा की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी।
भारतीय क्रिकेटरों के केंद्रीय अनुबंध में दोगुनी वृद्धि की गयी थी। इससे ग्रुप ए में शामिल खिलाड़ियों को अब प्रतिवर्ष दो करोड़ रूपये मिलते हैं जबकि पहले उन्हें एक करोड़ रूपये मिलते थे। सालाना अनुबंध में शत प्रतिशत बढ़ोतरी के बावजूद खिलाड़ी खुश नहीं हैं। पूर्व कोच अनिल कुंबले ने प्रशासकों की समिति के सामने जो प्रस्तुति दी थी उसमें उन्होंने ग्रेड ए क्रिकेटरों की सालाना अनुबंध राशि पांच करोड़ रूपये करने का आग्रह किया था।
सीओए ने छह अप्रैल को उच्चतम न्यायालय को सौंपी गयी अपनी तीसरी स्थिति रिपोर्ट में केंद्रीय अनुबंध में बदलाव की प्रस्तावित सिफारिशों का भी जिक्र किया है। बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा ''रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि खिलाड़ी आईपीएल प्रसारण से होने वाली कमाई से हिस्सा चाहते हैं लेकिन उन्होंने इस तरह की बात कभी नहीं की। हां उन्होंने सम्मानित वृद्धि की बात जरूर की है। सीओए भी समझते हैं कि उनके भुगतान ढांचे में बदलाव की जरूरत है।''
इस समय भारतीय खिलाड़ी बीसीसीआई की कमाई का आठ प्रतिशत से भी कम (7.8 प्रतिशत) ही हासिल करते हैं। खिलाड़ी अभी जो मांग कर रहे हैं वह उन्हें तब तक नहीं मिलेगा जब तक कि बीसीसीआई की आम सभा संशोधित भुगतान ढांचे को मंजूरी नहीं दे देती। अधिकारी ने कहा, ''अब इस स्थिति पर विचार करिये जहां विराट या धोनी मिस्टर राय से वेतन बढ़ाने पर विचार करने के लिये कहते हैं। वह उन्हें आसानी से कह सकते हैं कि वह पहले ही सीओए की तीसरी स्थिति रिपोर्ट में उच्चतम न्यायालय में अपनी सिफारिशें सौंप चुके हैं। अब बीसीसीआई के किसी भी तरह के कोष वितरण के लिये आम सभा की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी।''
उन्होंने कहा, ''विशेष आम सभा की बैठक बुलाने की जरूरत पड़ेगी जहां सदस्य फैसला करेंगे। यह बीसीसीआई के संविधान सम्मत है।'' भारतीय खिलाड़ियों का मानना है कि आईपीएल का अनुबंध हासिल नहीं कर पाने वाले चेतेश्वर पुजारा जैसे खिलाड़ियों को टेस्ट क्रिकेट के अपने कौशल के हिसाब से पर्याप्त धनराशि मिलनी चाहिए। इसी तरह से महेंद्र सिंह धोनी टेस्ट मैचों में नहीं खेलते लेकिन अन्य दो प्रारूपों में वह टीम के सदस्य हैं।
कुंबले ने तब इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड की तरह खिलाड़ियों के लिये रेड और व्हाइट बॉल अनुबंध का सुझाव दिया था।