भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने गुरुवार को कहा कि वह हमेशा आईपीएल फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और उसके कप्तान कप्तान विराट कोहली के हमेशा ऋणी रहेंगे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले सिराज ने अपने पिता को खो दिया था, लेकिन सिराज ने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में रहने का फैसला किया।
सिराज ने हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "आरसीबी और विराट भाई ने मुझ पर भरोसा दिखाया। आरसीबी ने मुझे समर्थन दिया, मेरा 2018 सीजन खराब था, लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे रिटेन किया। विराट भाई ने हमेशा मेरा सपोर्ट किया है। उन्होंने हमेशा मुझसे कहा है कि मेरे पास बड़े मंच पर प्रदर्शन करने की क्षमता है। मैं इस सीरीज से इंग्लैंड के खिलाफ अगले मैच में आत्मविश्वास लेकर जाऊंगा। जो भी टीम प्रबंधन फैसला करेगा, मैं वही करूंगा। मैं नहीं सोच रहा कि क्या होगा जब (मोहम्मद) शमी और उमेश (यादव) वापस लौटेंगे।"
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गौरतलब है कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 13 विकेट हासिल करने वाले मोहम्मद सिराज गुरुवार को अपने हैदराबाद पहुंचे और सीधा अपने पिता की कब्र पर गए, जिनका निधन उस समय हो गया था, जब सिराज ऑस्ट्रेलिया में थे।
सिराज ने पिता को याद करते हुए कहा ,‘‘मेरे लिये यह मुश्किल था। मैं बहुत दुखी था। मैने घर पर अपनी मां और परिवार से बात की जिन्होंने मेरा सहयोग किया। उन्होंने मुझसे अब्बा का सपना पूरा करने के लिये कहा। मेरी मंगेतर ने भी मुझे प्रेरित किया। पूरी टीम ने मेरा साथ दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सीधे उनकी कब्र पर गया और फूल चढाये। यह भावुक पल था क्योंकि मैं उनके अंतिम संस्कार के समय नहीं था। मैं वहां गया और कुछ देर अपने अब्बा के साथ बैठा।’’ सिराज ने आगे कहा,‘‘मैं जैसे ही घर पहुंचा, मेरी मां रोने लगी। मैने उनके सामने मजबूत बने रहने की कोशिश की। उन्हें ढांढस बंधाया और संभाला। यह अलग ही तरह का अहसास था।’’
उन्होंने कहा,‘‘मैने हर विकेट अब्बा को समर्पित किया सिडनी में मयंक अग्रवाल और मेरा जश्न उनको समर्पित था।’’ सिराज के भाई मोहम्मद इस्माइल ने तब कहा थ ,‘‘मेरे मरहूम वालिद का ख्वाब था कि सिराज भारत के लिये टेस्ट क्रिकेट खेले। वह उसे हमेशा नीली और सफेद जर्सी में देखना चाहते थे। उनका सपना पूरा हुआ।’’
पुजारा ने बताया, इस कारण गाबा में शरीर पर बाउंसर गेंद खाने के अलावा नहीं था कोई चारा