इंदौर: टीम इंडिया के तेज़ी से उभरते स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या अपनी ताबडतोड़ बल्लेबाज़ी के कारण विरोधी टीमों के लिए ख़ौफ़ बने हुए हैं। वह छक्के जब मर्ज़ी होती है, जड़ देते हैं। उनके ज़्यादातर छक्के गगनचुंबी होते हैं। इसकी झलक उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफ़ी फाइनल में दिखाई ती और फिर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ में लगातार इसकी बानगी पेश कर रहे हैं।
जिस सहजता से हार्दिक पंड्या छक्के लगा देते हैं उसे देखकर क्रिकेट पंडित भी हैरान हैं और अब पंड्या ने अपने गगनचुंबी छक्कों का राज़ खोला है। पांड्या ने खुलासा किया है कि छक्के जड़ना उनके बचपन का शग़ल रहा है और उन्हें पूरा भरोसा रहता है कि बॉल मैदान के बाहर ही गिरेगी।
बता दें कि पंड्या की 72 गेंदों पर चार छक्कों की मदद से खेली गयी 78 रन की पारी के दम पर भारत ने रविवार को यहां तीसरे वनडे में आस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर पांच मैचों की सिरीज़ में 3-0 की अजेय बढ़त बना ली है।
पंड्या ने इस साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चार मौक़ों पर छक्कों की हैट्रिक लगाई है। पंड्या ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''छक्के तो मैं पहले भी मारता रहा हूं, अब फ़र्क़ बस इतना है कि मैं बड़े स्तर के क्रिकेट में भी छक्के लगा रहा हूं। असल में मैं बचपन से ही छक्के लगाता रहा हूं। अगर आपको लगता है कि पाकिस्तान के खिलाफ खेले गये मैच से मेरा खेल बदला है तो आप मानते रहें, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की 28 पारियों में 40 छक्के लगाने वाले पंड्या से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान के खिलाफ ओवल में खेली गयी 76 रन की पारी से उनके करियर में बदलाव आया है। उन्होंने कहा ''इससे पहले आईपीएल में भी मेरा प्रदर्शन अच्छा था। उससे पहले के सत्र में मैं अच्छा नहीं खेल पाया था लेकिन मैंने कड़ी मेहनत की जिसके दम पर मैं वापसी कर पाया। मैं हमेशा खुद को प्रेरित करता हूं. यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्रिकेट में आत्मविश्वास हमेशा मायने रखता है और मुझे खुद पर विश्वास है कि मैं गेंद को मैदान के बाहर मार सकता हूं।''
पंड्या ने इस साल पाकिस्तान के खिलाफ चैंपियन्स ट्राफी के दो मैचों में इमाद वसीम और शादाब खान तथा श्रीलंका के खिलाफ कैंडी टेस्ट मैच में मालिंदा पुष्पकुमार की लगातार तीन गेंदों पर छक्के लगाये थे। आस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्तमान सिरीज़ के चेन्नई में खेले गये मैच में उन्होंने लेग स्पिनर एडम जंपा के खिलाफ भी यह कारनामा किया था।
पंड्या से जब पूछा गया तो क्या लंबे शाट खेलना उनका नैचुरल गुण है, उन्होंने कहा, ''यह केवल हिटिंग से नहीं जुडा है। खेल को समझना महत्वपूर्ण होता है। उस समय मुझे लगा कि ज़ंपा गेंदबाज़ी कर रहा है और मैं जानता था कि मैं उस पर किसी भी समय छक्का जड सकता हूं इसलिए मैंने सातवें ओवर तक इंतजार किया और उस एक ओवर ने उस मैच के समीकरण बदल दिये थे। यह सकारात्मक सोच और खुद पर भरोसे से जुड़ा है। अगर मुझे लगता है कि छक्के लगाना चाहिए तो मैं खेल का आंकलन करता हूं और फिर लंबे शाट खेलता हूं।''
पंड्या तीसरे वनडे में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आये और अपेक्षाओं पर खरे उतरे। उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन की रणनीति स्पिनरों पर हावी होने की थी। पंड्या से पूछा गया कि जब वह बल्लेबाजी के लिए आये तो उन्हें क्या संदेश दिया गया था, उन्होंने कहा, संदेश हमेशा सरल होता है, अपना नैसर्गिक खेल खेलो। निश्चित तौर पर रणनीति स्पिनरों को निशाना बनाने की थी और हम इसमें सफल रहे।
उन्होंने कहा, ''मैं किस नंबर पर बल्लेबाजी करता हूं इससे कोई अंतर नहीं पडता है। इसे चुनौती के रुप में देखने के बजाय मैं टीम के लिए कुछ खास करने के मौके के रुप में देखता हूं। जब मुझसे कहा गया कि मुझे चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए जाना है तो बहुत खुश हुआ। पहली बार मैंने वनडे में इतनी अधिक गेंदें खेली। इसलिए यह शानदार रहा।''
पंड्या अब बल्लेबाजी ही नहीं गेंदबाजी में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तथा होलकर स्टेडियम की सपाट पिच पर उन्होंने खूबसूरत आफ कटर पर डेविड वार्नर का विकेट लिया। उन्होंने कहा, ''मैं तेज ऑफ़कटर करने की कोशिश कर रहा था। मैंने जब उसे (वार्नर को) पहले धीमी गेंद की थी तो समझ गया था कि ऑफकटर की जा सकती है। विकेट काफी सूखा था और कुछ अलग हटकर करने से ही विकेट मिलता। मैंने परिस्थिति का अच्छा आंकलन किया और विकेट लिया।''
पंड्या ने भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह के साथ गेंदबाजी करने के बारे में कहा कि यह शानदार है। हम एक दूसरे से बात करते रहते हैं और विकेट को देखकर हमें किस तरह की गेंदें करनी चाहिए। वे दोनों बेजोड़ हैं तथा शुरुआत और डेथ ओवरों में शानदार गेंदबाजी करते हैं। उनके साथ रहने से मेरा आत्मविश्वास बढता है। आस्ट्रेलिया को अच्छी शुरुआत के बावजूद बडा स्कोर नहीं बनाने देने के लिए पंड्या ने गेंदबाजों की तारीफ की।