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उन्मुक्त चंद का छलका दर्द, कहा- लगातार रन बनाने के बावजूद टीम इंडिया से नहीं आया बुलावा

उन्मुक्त चंद को भी देश में कोहली के बाद अगला सितारा माना जा रहा था मगर आलम ये रहा कि धीरे - धीरे उन्मुक्त का नाम भारतीय घरेलू क्रिकेट में भी खोता चला गया।

Written by: India TV Sports Desk
Published : June 07, 2020 23:16 IST
unmukt chand
Image Source : GETTY unmukt chand

साल 2008 में टीम इंडिया के वर्तमान कप्तान विराट कोहली ने अंडर - 19 टीम इंडिया की कप्तानी करते हुए भारत को अंडर -19  विश्वकप जिताया था। जिसके बाद कोहली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज वो वर्ल्ड क्रिकेट के टॉप खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। कुछ इसी तरह दिल्ली के ही रहने वाले अपनी कप्तानी में अंडर - 19 विश्वकप 2012 टीम इंडिया को जीताने वाले उन्मुक्त चंद को भी देश में कोहली के बाद अगला सितारा माना जा रहा था मगर वो अपनी काबिलियत पर खरे नहीं उतर पाए और आलम ये रहा कि धीरे - धीरे उन्मुक्त का नाम भारतीय घरेलू क्रिकेट में भी खोता चला गया।

इसी पूरे मसले पर बातचीत करते हुए उन्मुक्त ने आकाश चोपड़ा के यूट्यूब चैनल पर कहा, "जाहिर सी बात है कि किसी भी अंडर-19 खिलाड़ी के लिए विश्व कप काफी अहम है। यह काफी सालों की मेहनत होती है, जूनियर से लेकर अंडर-16 और फिर उससे आगे। किसी भी जूनियर खिलाड़ी के लिए वहां तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है और निश्चित तौर पर विश्व कप जीतना भी बड़ी बात है।"

उन्होंने कहा, "चार साल पहले मैंने देखा था कि विराट भइया टीम की कप्तानी कर रहे हैं और विश्व कप जीत कर आए हैं। वो मेरी यादों में ताजा था इसलिए प्रभाव काफी ज्याद पड़ा। मुझे पता है कि कहानी अलग हो सकती थी। ऐसा नहीं है कि आप हमेशा अपने आप भारत के लिए खेलोगे लेकिन उस समय मेरे लिए अंडर-19 विश्व कप जीतना काफी अहम था।"

उन्मुक्त ने कहा कि 2012 के बाद से वह लगातार रन बना रहे थे और उन्होंने इंडिया-ए की कप्तानी भी की थी, लेकिन सीनियर टीम से कभी उन्हें बुलावा नहीं आया।

उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि जीतने के बाद मुझे मौका नहीं मिला। मैं इंडिया-ए के लिए खेला और मैं 2016 तक टीम की कप्तानी कर रहा था। रन भी बना रहा था। कुछ बार मुझसे कहा गया कि 'तैयार रहो, हम तुम्हें चुनेंगे।' लेकिन ठीक है। यह कहना कि अगर मैं खेला होता तो ये कर देता या वो कर देता, यह सही नहीं होगा। सबसे अहम है कि क्या हुआ और मैं उससे क्या सीख सका।"

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उन्होंने कहा, "कई बार आपको समझना होता है कि भारतीय टीम संयोजन की बात है। मुझे याद है कि जब मैं अच्छा कर रहा था उस समय सीनियर टीम में वीरू भइया (वीरेंद्र सहवाग), गौतम भइया (गौतम गंभीर), भारत के लिए ओपनिंग किया करते थे। फिर ऐसा समय आया कि सलामी बल्लेबाजों की कमी हो गई और तब मेरा फॉर्म बेकार चल रहा था। यह चीजें भी मायने रखती हैं।"

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