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IPL 2020 के टाइटल स्पॉन्सर अधिकार हासिल करने के लिए 'अनअकेडमी' लगाएगा बोली

शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी अनअकेडमी (Unacademy), जो पहले से ही आईपीएल के प्रायोजकों में से एक है, अब उसकी नजरें लीग के टाइटल स्पाॉन्सर अधिकार हासिल करने पर है।

Reported by: Bhasha
Updated on: August 12, 2020 16:38 IST
IPL 2020 के टाइटल स्पॉन्सर...- India TV Hindi
Image Source : PTI IPL 2020 के टाइटल स्पॉन्सर अधिकार हासिल करने के लिए अनअकेडमी लगाएगा बोली

शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी अनअकेडमी (Unacademy), जो पहले से ही आईपीएल के प्रायोजकों में से एक है, अब उसकी नजरें लीग के टाइटल स्पाॉन्सर अधिकार हासिल करने पर है। इस सीजन चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो के IPL टाइटल स्पॉन्सर से हटने के बाद अनअकेडमी बोली लगाने के लिए तैयार है। BCCI के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि अनअकेडमी (Unacademy) ने अपनी बोली जमा करने के लिए पेपर ले लिए है, लेकिन इससे आगे कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई को बताया, "मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि Unacademy ने टाइटल स्पॉन्सर में दिलचस्पी दिखाई है। मैंने सुना है कि वे बोली जमा करेंगे और बहुत गंभीर हैं। इसलिए पतंजलि अगर बोली लगाती है तो प्रतिस्पर्धा होगी।"

इससे पहले बीसीसीआई ने भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीनी मोबाइल फोन कंपनी विवो के साथ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आगामी सत्र के लिये टाइटल स्पॉन्सर करार निलंबित कर दिया था।  विवो ने 2018 से 2022 तक पांच साल के लिये 2190 करोड़ रूपये में आईपीएल स्पॉन्सर अधिकार हासिल किये थे जिसके तहत  बीसीसीआई को करीब 440 करोड़ रूपये सालाना मिलते थे।

बीसीसीआई अब चार महीने 13 दिन के लिये इससे कम कीमत - 300 से 350 करोड़ के बीच- के करार के लिये कंपनी ढूंढ रहा है। अधिकारी ने कहा कि ‘अनअकैडमी’ आईपीएल के केंद्रीय प्रायोजन पूल का हिस्सा है जिसमें अन्य कंपनी जैसे ड्रीम11 और पेटीएम शामिल हैं।

बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, ‘‘हां, ‘अनअकैडमी’ 2020 से 2023 तक आईपीएल के केंद्रीय प्रायोजन पूल में शामिल है। ’’ यह पूछने पर कि केंद्रीय प्रायोजन और टाइटल प्रायोजन में क्या अंतर है तो अधिकारी ने कहा, ‘‘केंद्रीय प्रायोजन में जर्सी अधिकार शामिल नहीं होते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आईपीएल में, जर्सी ‘लोगो’ सिर्फ टाइटल प्रायोजक का ही हो सकता है, भले ही टीम के विभिन्न प्रायोजक हों। अगर वे टाइटल प्रायोजक बन गये तो इससे उन्हें विभिन्न ब्रांडिंग चीजों पर अधिकार मिल जायेंगे।’’

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