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टॉस बिना क्रिकेट के ये होंगे फ़ायदे-नुकसान

क्या सिक्का उछाले बग़ैर हम क्रिकेट की कल्पना कर सकते हैं...? शायद नहीं क्योंकि क्रिकेट में सिक्का (टॉस) उतना ही महात्वपूर्ण है जितना फ़िल्म शोले में था। आजकल सिक्का किस करवट लेटता है उसी पर

India TV Sports Desk
Updated on: September 19, 2015 14:12 IST
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टॉस बिना क्रिकेट के ये होंगे फ़ायदे-नुकसान

क्या सिक्का उछाले बग़ैर हम क्रिकेट की कल्पना कर सकते हैं...? शायद नहीं क्योंकि क्रिकेट में सिक्का (टॉस) उतना ही महात्वपूर्ण है जितना फ़िल्म शोले में था। आजकल सिक्का किस करवट लेटता है उसी पर खेल का नतीजा लगभग तय हो जाता है। कप्तान जब टॉस करने बीच मैदान पर जाता है तो ड्रेसिंग रुम में बाक़ी खिलाड़ी प्रार्थना करते हैं और टॉस जीतने पर घरेलू दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से तो मानों लगता है मैच ही जीत लिया गया हो।

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज़ रिकी पोंटिंग ने टॉस की अनिवार्यता ख़त्म करने का सुझाव दिया है जिसका वेस्ट इंडीज़ के पूर्व फ़ास्ट बॉलर माइकल होल्डिंग और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने भी समर्थन किया है।

इस सुझाव के पीछे मक़सद है टॉस के ज़रिये होम टीम को मिलने वाले फ़ायदे को ख़त्म करना और पहले बैटिंग या बॉलिंग करने का फ़ैसला मेहमान टीम पर छोड़ना।

वैसे पोंटिंग का ये सुझाव है तो दिलचस्प क्योंकि हाल ही के वर्षों में खेले गए मैचों पर नज़र डाले तो पाएंगे कि टीमें अपने घरों में ज़्यादा मैच जीतती रही हैं।

हाल ही में ऐशेज़ सीरीज़ में इंग्लैंड की हैरतअंगेज़ जीत के पीछे टॉस की ही महिमा ही बताई जा रही है। नॉटिंघम के हरियाले विकेट पर अगर इंग्लैंड ने पहले बैटिंग की होती तो क्या उसका भी वहीं हश्र नही हुआ होता जो ऑस्ट्रेलिया का हुआ था? इस मैच की पहली पारी में स्टुअर्ट ब्रॉड ने आठ विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ 60 रन पर पवैलियन में बैठा दिया था। बाद में पिच जब ज़रा आसान हो गई तो इंग्लैंड ने 391 रन बना डाले।

ओवल में अंतिम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को धो डाला हालंकि इंग्लैंड  3-2 से ऐशेज़ सीरीज़ जीत गई लेकिन ट्रेंट ब्रिज में अगर माइकल क्लार्क ने टॉस जीता होता तो सीन एकदम उल्टा हो गया होता।

तो क्या ये नॉटिंघम में टॉस था जिसने ऐशेज़ सीरीज़ का नतीजा तय कर दिया? जवाब होगा हां क्योंकि इंग्लैंड ने टॉस जीतकर होम कंडीशन्स का भरपूर फ़ायदा उठाया।

दरअसल सिक्का के नीचे गिरते ही कई खिलाड़ियों का हुनर भी उसके नीचे दफ़्न हो जाता है। तो फिर क्यों न इस टॉस से ही निजात पाई जाए...?

वॉ का कहना है, “इसमें कोई बुराई नही है। मुझे लगता है टॉस पर कुछ ज़्यादा ही निर्भरता हो गई है। क्रिकेट अधिकारियों को दूसरे विकल्प के बारे में सोचना चाहिये।”

दूसरी तरफ पाकिस्तान के महान बल्लेबाज़ जावेद मियांदाद इससे इत्तफ़ाक नहीं रखते।

“टॉस क्रिकेट के लिए अच्छा है। टीवी और रेडियो पर इस पर खूब चर्चा होती है। हर किसी की नज़र टॉस पर रहती है।”

मियांदाद ने कहा कि टॉस के हारने या जीतने का असर मेज़बान टीम की तैयारी पर भी पड़ता है इसलिए इसे ख़त्म करने की कोई तुक नही है।

मियांदाद का यह भी कहना है कि एक अच्छा क्रिकेटर कहीं भी अच्छा केल सकता है और यही एक अच्छे बल्लेबाज़ या गेंदबाज़ की निशानी होती है।
 
एक नज़र डालते हैं टॉस ख़त्म करने के फ़ायदे और नुकसान पर:

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