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टीम जानती है मैं काम का हूं और यही बात मायने रखती है : विजय शंकर

हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर ने अपने सामने नंबर-4 बल्लेबाजी क्रम को लेकर बहस को उठते हुए देखा है। कई पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट पंडित मानते हैं कि इस क्रम के लिए युवा ऋषभ पंत और अनुभवी अंबाती रायडू अच्छे विकल्प होते, लेकिन पांच सदस्यों की चयन समिति ने इन दोनों को नकारते हुए शंकर को चुना।

Reported by: IANS
Published on: May 15, 2019 23:18 IST
The team knows I am a work and this is what matters: Vijay Shankar- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES The team knows I am a work and this is what matters: Vijay Shankar

नई दिल्ली। हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर ने अपने सामने नंबर-4 बल्लेबाजी क्रम को लेकर बहस को उठते हुए देखा है। कई पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट पंडित मानते हैं कि इस क्रम के लिए युवा ऋषभ पंत और अनुभवी अंबाती रायडू अच्छे विकल्प होते, लेकिन पांच सदस्यों की चयन समिति ने इन दोनों को नकारते हुए शंकर को चुना।

अगर देखा जाए तो शंकर का विवादों से पुराना नाता है। इतिहास बताता है कि शंकर और विवाद साथ-साथ चलते हैं। इस देश में कोई भी निदास ट्रॉफी के उस फाइनल को नहीं भूला होगा जहां शंकर अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे। शंकर ने 19 गेंदों में 17 रन बनाए थे। हालांकि दिनेश कार्तिक की बदौलत भारत ने वह मैच जीत लिया था, लेकिन शंकर के सामने बार-बार उस पारी का भूत आकर खड़ा हो जाता। लेकिन काले बादलों के बाद धूप निखर कर सामने आती है और यही शंकर के साथ हुआ।

शंकर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उस वाकये ने उन्हें जीवन का अहम पाठ पढ़ाया और एक मजबूत इंसान बनाया जो समझ सका कि मौजूदा पल का लुत्फ कैसे उठाया जाता है और क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह तक नहीं पता कि वह उस फाइनल मैच में पहली बार भारतीय टीम की तरफ से बल्लेबाजी करने उतरे थे।

उन्होंने कहा, "मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि निदास ट्रॉफी एक क्रिकेटर के तौर पर मेरे लिए जीवन बदलने वाला पल था। उस बात को तकरीबन एक साल हो चुका है और हर कोई जानता है कि क्या हुआ था और वह कितना मुश्किल था।"

उन्होंने कहा, "मैंने तकरीबन 50 फोन कॉल लिए थे। मीडिया के लोग मुझसे फोन कर रहे थे और वही सवाल पूछ रहे थे। यहां तक की सोशल मीडिया मेरे लिए मुसीबत बन गया था। मैं थोड़ा निराश हो गया था और उससे बाहर निकलने में मुझे समय लगा।"

उन्होंने कहा, "लेकिन, दूसरी तरफ इन सभी चीजों ने मुझे सिखाया कि इस तरह की स्थिति को कैसे संभालना है और किस तरह से बाहर आना है। उस वाकये ने मुझे बताया कि एक दिन खराब होने का मतलब यह नहीं है कि विश्व का अंत हो गया। यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ, यह बीते वर्षो में कई शीर्ष खिलाड़ियों के साथ हुआ है।"

शंकर के मुताबिक, "सबसे अच्छी बात यहा थी कि बल्ले के साथ वो मेरा पहला अनुभव था। मैंने उस सीरीज में गेंदबाजी तो की थी लेकिन फाइनल मैच में मैं पहली बार बल्लेबाजी करने उतरा था। वो हालांकि जीवन की सीख देने वाला पल था। उसने मुझे सिखाया कि हर पल का लुत्फ कैसे उठाते हैं और इस तरह के वाकये अस्थायी होते हैं। साथ ही मुझे सिखाया कि मुझे अपना 100 फीसदी देना चाहिए।"

नंबर-4 को लेकर जारी विवाद पर वापस आते हुए शंकर ने कहा कि वह सीख गए हैं कि दबाव मुक्त कैसे हुआ जाता है और अब उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या कह रहा है। 

उन्होंने कहा, "न्यूजीलैंड में जब मैंने नंबर-3 पर बल्लेबाजी की तो मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। सबसे अच्छी बात यह रही कि टीम प्रबंधन ने मुझ पर भरोसा दिखाया और माना कि मैं यह काम कर सकता हूं। इससे आपको अतिरिक्त प्ररेणा मिलती है। टीम की जरूरत मेरी प्राथमिकता है और मैं हर स्थिति में खेलने को तैयार हूं।"

उन्होंने कहा, "मैं अपने खेल का लुत्फ ले रहा हूं और अपने आप पर किसी तरह का दबाव नहीं ले रहा। मैं स्थिति को समझने और उसके हिसाब से खेलने पर ध्यान दे रहा हूं। मैं अपने काम को महत्व दे रहा हूं और इसको लेकर कोई छोटा रास्ता नहीं है।"

शंकर से जब पूछा गया कि सीनियर खिलाड़ियों और मुख्य कोच रवि शास्त्री से उन्हें क्या फीडबैक मिला? इस पर उन्होंने कहा कि वह इस बारे में ज्यादा बता नहीं सकते। उन्होंने कहा कि वह देखकर सीखने वाले हैं और जब भी अपने सीनियर खिलाड़ियों के साथ रहते हैं तो ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करते हैं। 

उन्होंने कहा, "पहली बात तो यह है कि भारतीय टीम का हिस्सा बनना वो सपना है जो हम तब से देखते हैं जबसे हम खेलना शुरू करते हैं। मैं वैसा खिलाड़ी हूं जो कोहली, माही भाई, रोहित को देखकर सीखना पसंद करता है। मैंने एक क्रिकेटर के तौर पर अपने आप में सुधार करने के लिए उनसे काफी बात की है। उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं अपना काम कर रहा हूं और मेरा ध्यान सिर्फ चीजों को सरल रखने पर होना चाहिए।"

भारतीय टीम में हार्दिक पांड्या के रूप में एक और हरफनमौला खिलाड़ी भी है। ऐसे में शंकर और पांड्या की तुलना होना लाजमी है, लेकिन शंकर को लगता है कि उन्हें अपनी गेंदबाजी पर अभी और काम करना है। 

उन्होंने कहा, "मैं अपनी गेंदबाजी पर काफी काम कर रहा हूं और मैं सही प्रक्रिया पर ध्यान देने में यकीन रखता हूं। मुझे लगता है कि जब स्थिति आएगी और कप्तान मुझे गेंद देंगे तो मेरे अंदर आत्मविश्वास होना चाहिए तभी मैं अच्छा कर पाऊंगा। यह हर मौके के साथ आत्मविश्वास हासिल करने की बात है।"

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