धर्मशाला: तंज़ और गरमा गरमी से भरपूर भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सिरीज़ आख़िरकार ऑस्ट्रेलिया की हार के साथ समाप्त हो गई। भारत ने ये सिरीज़ 2-1 से जीतकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा कर लिया। टीम इंडिया की तरफ से जहां बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों ने कमाल का प्रदर्शन किया वहीं डेविड वार्नर और शॉन मार्श जैसे कंगारुओं के धाकड़ बल्लेबाज़ों ने अपनी टीम को शर्मिंदा किया।
सिरीज़ के शुरु होते ही ऑस्ट्रेलिया की तरफ से एक नाम ऐसा चमका था कि लगा ऑस्ट्रेलिया को अब ऐसा ओपनर मिल गया है जिसकी लंबे समय से तलाथ थी। ये नाम था मैट रेनशॉ का। 21 साल के रेनशॉ ने पुणे में सिरीज़ के पहले ही टेस्ट में 68 और 31 रन बनाकर सबके प्रभावित किया। ये मैच ऑस्ट्रेलिया ने 333 से जीतकर भारतीय ख़ेमें में हड़कंप मचा दी थी क्योंकि सिरीज़ शुरु होने के पहले कोई भी कंगारुओं को जीत का दावेदार नहीं बता रहा था। दूसरा टेस्ट बेंगलुरु में भारत ने जीतकर सिरीज़ में वापसी की लेकिन रांची में सिरीज़ जीतने से चूक गया क्योंकि हैंड्कॉंब और शॉन मार्श ने शानदार बैटिंग कर मैच ड्रॉ करवा दिया।
अब दोनों टीमों के लिए सिरीज़ का दारोमदार धर्मशाला टेस्ट पर था जहां पहला टेस्ट खेले जाने वाला था। पलड़ा टॉस के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में झुक गया जब उसने टॉस जीता और पहले बैटिंग कर 300 का स्कोर खड़ा कर दिया हालंकि ये स्कोर और भी अधिक हो सकता था लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों ने नकेल कस दी।
यूं पलटा मैच का रुख
पहला विकेट 21 रन पर गिरने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने मैच पर पकड़ बना ली थी। मुरली के आउट होने के बाद राहुल और पुजारा ने दूसरे विकेट के लिए 87 रन जोड़े जो ऑस्ट्रेलिया के लिए भारी पड़ गए। लेकिन भारत का स्कोर जब 29 था तब कमिंस की बॉल पर रेनशॉ ने स्लिप पर राहुल का कैच टपका दिया। तब वह सिर्फ 14 रन पर थे। इसके बाद उन्होंने 60 रन बनाए।
इसके बाद जब भारत का स्कोर 246/6 था तब एक बार फिर रेनशॉ ने कैच छोड़ा जिसकी क़ीमत ऑस्ट्रेलिया को हार के साथ चुकानी पड़ी। इस बार भी बॉलर कमिंस थे। साहा 9 रन बनाकर खेल रहे थे तभी रेनशॉ ने उनका स्लिप पर कैच छोड़ दिया। इसके बाद साहा ने जडेजा के साथ मिलकर 96 रन की पार्टनरशिप की। साहा 31 रन बनाकर आउट हुए लेकिन वह भारत को 32 रन की बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर चुके थे।