नयी दिल्ली: टीम इंडिया के कोच रहे ग्रेग चैपल और उनसे जुड़े विवादों को कौन नहीं जानता. उन्हीं के कार्यकाल में टीम इंडिया का बेड़ा ग़र्क हुआ था, वो भी इतना कि टीम 2007 विश्व कप में लीग राउंड में ही बाहर हो गई थी. कप्तान सौरव गांगुली के साथ उनकी तकरार भी जग ज़ाहिर है. अब टीम इंडिया के उम्र दराज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा ने ख़ुलासा किया कि बतौर कोच ग्रेग चैपल के अंडर टीम इंडिया बिरयानी बन ही नहीं सकती थी, उसे (टीम इंडिया) खिचड़ी ही बनना था.
चैपल जूनियर्स के लिये अच्छे कोच साबित होते
नेहरा ने कहा, ‘‘मैं 2005 में दो सिरीज़ के अलावा ग्रेग चैपल के अंडर ज़्यादा नहीं खेला लेकिन मुझे पहली सिरीज़ से ही लग गया था कि ग्रेग के अंडर में ये बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है. गैरी बेहतरीन कोच थे. वह एमएस के साथ मैदान पर रणनीति को लेकर बात करते लेकिन कभी एम एस के काम में दख़ल नहीं देते थे. मेरा वैसे अभी भी मानना है कि चैपल जूनियर्स के लिये अच्छे कोच साबित होते.’’
आपको बता दें कि नेहरा ने क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है. उन्हें न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टी-20 सिरीज़ के लिए टीम में रखा गया है. पहला मैच दिल्ली के फ़ीरोज़शाह कोटला में होना है जिसमें नेहरा के खेलने की संभावना है. इस मैच के बाद वह क्रिकेट को अलविदा कह देंगे. नेहरा ने इसी मैदान से अपना करिअर शुरु किया था.
बीस साल के करिअर में 12 ऑपरेशन
हैरानी की बात तो ये है कि अपने बीस साल के करिअर में 163 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके नेहरा के 12 बार ऑपरेशन हुए लेकिन हर बार वह नयी ताक़त के साथ खेल के मैदान पर लौटे. उनका कहना है कि यदि आप फ़र्राटा नहीं भाग सकते तो दौड़ें, दौड़ नहीं सकते तो जागिंग करे और वह भी नहीं कर सकते तो पैदल तो चल सकते हैं लेकिन कुछ ना कुछ ज़रूर करते रहना चाहिए. ‘‘मेरे 20 साल काफी रोमांचक रहे हैं. मैं बहुत जज़्बाती नहीं हूं. अगले 20 साल का मुझे इंतज़ार है. उम्मीद है कि यह भी उतने ही रोमांचक होंगे जितने पिछले 20 साल रहे हैं जब मैने 1997 में दिल्ली के लिये खेलना शुरू किया था.’’
नेहरा को एक बात का मलाल है और वो ये कि, ‘‘अगर मुझे इन 20 साल में कुछ बदलना हो तो जोहानसबर्ग में 2003 विश्व कप फाइनल का दिन बदलना चाहूंगा लेकिन यह सब किस्मत की बात है.’’
धोनी, अजय जडेजा क्रिकेट की समझ के मामले में जीनियस
दिल्ली के सोनेट क्लब से सफ़र का आग़ाज़ करते वाले नेहरा ने कहा,‘‘ कोटला पर मेरे पहले रणजी मैच में दिल्ली टीम में दिवंगत रमन लांबा, अजय शर्मा, अतुल वासन और राबिन सिंह जूनियर थे. रमन भैया और अजय भैया को देखकर मैने गेंदबाज़ी सीखी थी. मैं अपने पहले रणजी मैच में तीसरे गेंदबाज के रूप में उतरा और दोनों पारियों में अजय जडेजा को शून्य पर आउट किया था. मेरी नज़र में अजय जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट की समझ के मामले में जीनियस हैं.’’
विराट को ज्ञान नहीं सहयोग की ज़रूरत है
जान राइट के दौर में उम्दा प्रदर्शन करने वाले नेहरा ने ग्रेग चैपल के कोच रहते खराब दौर देखा और फिर गैरी कर्स्टन के दौर में वापसी की तथा आखिर में रवि शास्त्री कोच रहे. विराट कोहली के लिये उन्होंने शास्त्री को आदर्श कोच बताया और कहा, ‘‘विराट ऐसे मुकाम पर है कि उसे ज्ञान नहीं सहयोग की ज़रूरत है जो रवि उसे दे रहा है. रवि के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यदि कोई खिलाड़ी खराब दौर से जूझ रहा है तो वह उसके साथ खड़ा होता है. वह नेट पर भी अच्छा नहीं खेल पा रहा हो तो भी वह उसे भरोसा दिलायेगा कि वह ब्रायन लारा जैसा बल्लेबाज़ है. बाहरी व्यक्ति को यह अजीब लग सकता है लेकिन क्रिकेट को समझने वाले जानते हैं कि यह मानव प्रबंधन है.’’