वेस्टइंडीज दौरे के बाद सितम्बर माह से मेन इन ब्लू यानी टीम इंडिया की जर्सी में चाइना की मोबाइल कंपनी ओप्पो (Oppo) का नाम हट सकता सकता है। मार्च 2017 में पांच साल तक 1079 करोड़ रूपए का करार करने वाली ओप्पो कंपनी अपने राइट्स इंडिया की बैंगलोर स्थित कंपनी बाईजूस (Byju's) को दे सकती है जो कि शिक्षा और तकनीक के मामलों में ऑनलाइन ट्यूशन देती है।
सूत्रों के अनुसार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि ओप्पो ने ये निर्णय लिया है कि वो जल्द ही बाईजूस को टीम इंडिया के अधिकार दे देगा क्योंकि उसका मानना है की 2017 में टीम इंडिया की जर्सी की रकम बहुत अधिक थी जो की वर्तमान में कंपनी के पैमाने पर खरी नहीं उतर रही है।
पिछले दो सप्ताह से ओप्पो कंपनी इर पर काम कर रही है। जिसके चलते उम्मीद की जा रही है कि वेस्टइंडीज दौर के बाद टीम इंडिया की जर्सी से ओप्पो का लोगो हट जायेगा और आगामी घरेलू साउथ अफ्रीका दौरे पर टीम बाईजूस के लोगो वाली जर्सी के साथ मैदान में उतरेगी।
इस पर बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि इस डील में बीसीसीआई को उतनी ही रकम मिलेगी जितनी ओप्पो कंपनी दे रही थी। इसमें उसे कोई घाटा नहीं होने वाला है। ये डील मार्च 2022 तक चलेगी।
सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि अचानक बीच में करार से पीछे हटने से ओप्पो कंपनी कुछ रकम बाईजूस को देगी जबकि बाईजूस कंपनी बाकी रकम बीसीसीआई को देगी।
बता दें कि करेला के बाईजू रविन्द्रन ने बाईजूस कंपनी शुरू की थी, जिसकी वर्तमान में कीमत 38 हजार करोड़ रूपए है। इंडस्ट्री के सूत्रों ने कहा की ये सही समय है जब हम टीम इंडिया की जर्सी में प्रायोजक के तौर पर कदम रखेंगे।
साल 2017 में ओप्पो ने 4.6 करोड़ रूपए प्रति एकदिवसीय मैच और 1.56 करोड़ रूपए प्रति आईसीसी और एशिया कप मैच के लिए करार किया था। जो की पिछले प्रायोजक स्टार से काफी बड़ी डील का करार था।
स्टार बीसीसीआई को 1.92 करोड़ रूपए प्रति एकदिवसीय मैच जबकि प्रति आईसीसी और एशिया कप के मैच के लिए सिर्फ 61 लाख रूपए देता था।