तो क्या दर्शक हैं जिम्मेदार
दरअसल ऐसा लगता है कि भारत को दर्शक दोयम दर्जे का खेलता हुआ नहीं देखना चाहते, तो क्या भारतीय दर्शकों में खेल भावना की कमी आ गई है । दर्शकों के व्यवाहर पर सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा जो लोग हार नहीं सह सकते उनको घर बैठकर टीवी पर मैच देखना चाहिए ? लेकिन यहां सवाल उठता है कि इस बात की गारंटी कौन ले सकता है कि हार से विचलित दर्शक टीवी नहीं तोड़गें ? खैर उड़ीसा सरकार ने बाराबाटी स्टेडियम में दर्शकों के द़ारा किए गए उपद्रव की जांच के आदेश दे दिए है और एक माह में रिपोर्ट देने को कहा है।
ज्यादा दिमाग इस्तेमाल करने से हारे या खराब गेंदबाजी रही बड़ा कारण ?
भारत पहला मैच 200 रन का स्कोर खड़ा करने के बावजूद इसलिए हार गया क्योंकि हमारा गेंदबाजी प्रदर्शन कमजोर रहा। वहीं दूसरे मैच में हम बल्लेबाजों के कमजोर प्रदर्शन के चलते हारे। गेंदबाजी में अश्विन ही एकमात्र गेंदबाज रहे जिनका प्रदर्शन उम्मीद पर खरा उतरा । क्या टीम इंडिया एक बेहतरीन गेंदबाज के दम पर टी 20 मैच जीत सकता है, शायद नहीं। भारत का गेंदबाजी गेमप्लान थोड़ा कमजोर रहा है वहीं बल्लेबाजी के चलते हम दूसरा टी 20 हारे।
भारती टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का कहना है कि टी 20 में ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि खुलकर स्ट्रोक्स खेलना चाहिए। माही की बयान से ऐसा लगता है कि टीम के खिलाड़ी खुलकर नहीं खेल रहे और अधिक सोच विचार करने के चलते चूक गए। अब अगर महेन्द्र सिंह धोनी की इस बात को सही भी मान लिया जाए तो इस बारें में सीरीज शुरु होने से पहले धोनी और टीम प्रबंधन को अपनी रणनीति में इस आक्रमक बल्लेबाजी अंदाज को शामिल करना चाहिए था,और सभी बल्लेबाजों को आक्रमक स्ट्रोक्स खेलने के बारें में बताना चाहिए था। धोनी ने स्वयं कहा है कि वह बल्लेबाजी क्रम में आगे आकर खेलना चाहतें हैं ऐसे में सवाल उठता है कि निचले क्रम पर फिनिशिंग टच देने के लिए आपको एक दमदार खिलाड़ी खोजना होगा जो टीम को लक्ष्य तक ले जांए। खैर अब देखने वाली बात होगी जब टीम इंडिया कोलकोता टी 20 मैच में कितना खुलकर खेल दिखाती है। उम्मीद की जा सकती है कि माही के धुरंधर यहां आक्रमक रूख अपनाएंगे ।
खैर उम्मीद की जा सकती है कि टी 20 में हार से सबक लेकर टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में बेहतर टीम संयोजन और कारगर रणनीति के साथ उतरेगी।