कोरोना वायरस महामारी के बीच क्रिकेट जगत में एक नई बहस छिड़ी हुई है। ये बहस है क्रिकेट गेंद पर लार और पसीना लगाने को लेकर। इस बहस में जहां कुछ लोग कोरोना के खतरे को देखते हुए गेंद पर लार और पसीना पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि गेंद पर लार और पसीना का इस्तेमाल रुकने से गेंदबाजों के लिए गेंदबाजी करना मुश्किल हो जाएगा। इस बहस में अब भारत के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट भी कूद गए हैं। जयदेव उनादकट का मानना है कि सफेद गेंद पर लार और पसीना का इस्तेमाल रुकने से खेल पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
भारत के लिये सात वनडे और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके उनादकट इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रायल्स टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सफेद गेंद के क्रिकेट को समस्या नहीं होगी। यहां तक कि वनडे में आप 25-25 ओवर के लिए दो नयी गेंद लेते हो। सफेद गेंद के क्रिकेट में ‘रिवर्स स्विंग’ कभी भी अहम नहीं रही है। यहां तक कि जहां तक सफेद गेंद का संबंध है तो नयी गेंद के लिये आपको पसीने या लार की जरूरत नहीं पड़ती।’’
यह भी पढ़ें- इंग्लैंड की टेस्ट टीम में वापसी के लिए बेताब हैं सलामी बल्लेबाज जेसन रॉय
रणजी ट्राफी विजेता सौराष्ट्र के कप्तान ने कहा कि इसके पीछे कारण यह है कि सफेद रंग की गेंद पर स्विंग के लिये बहुत कम या बिलकुल पसीने या लार की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा, ‘‘सफेद गेंद को अगर आप अपनी पैंट पर रगड़ोगे तो भी यह चमकदार बनी रहेगी जबकि लाल गेंद को चमकाने के लये लार और पसीने की ज्यादा जरूरत होती है। ’’ इसलिये उन्हें लगता है कि सीमित ओवर के क्रिकेट में गेंदबाजों के लिये कम जोखिम होगा और इन्हें टेस्ट और प्रथम श्रेणी मैचों से पहले शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम सफेद गेंद के मुकाबले शुरू करते हैं तो हमारे लिये निश्चित रूप से फायदा होगा क्योंकि लार और पसीना लाल गेंद के क्रिकेट के लिये ही अहम होते हैं।’’
(With PTI Inputs)