नई दिल्ली: एक दौर था जब सर डॉन ब्रैडमैन, सर विवियन रिचर्ड्स और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज खिलाड़ी क्रिकेट जगत पर राज करते थे। पूरी दुनिया इनकी प्रतिभा का लोहा मानती थी। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ दिग्गजों ने जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा तो 90 के दशक में दो ऐसे क्रिकेट स्टार्स ने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी दस्तक दी, जिनकी तुलना बाद में इन्हीं लेजेंड खिलाड़ियों से की जाने लगी।
भारत के स्टार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और वेस्टइंडीज के धुरंधर ब्रायन लारा ने अपने खेल के दमपर वो मुकाम हासिल किया। जिसकी वजह से इन्हें क्रिकेट जगत के लेजेंड खिलाड़ियों की श्रेणी में शुमार किया जाता है। सचिन और लारा ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत लगभग एक ही साथ की थी और आगे चलकर वो मुकाम हासिल किया कि वेस्टइंडीज में भी क्रिकेट फैंस सचिन की बल्लेबाजी देखना चाहते थे तो वहीं भारत में भी क्रिकेट फैंस लारा को बेहद पसंद करते थे।
साफ है सचिन और लारा के बीच हमेशा कॉम्पिटिशन चलता रहता था और इसी का ताजा उदाहरण लारा ने लॉर्ड्स में एमसीसी में लेक्चर के दौरान दिया। वेस्टइंडीज के इस पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ने माना कि 1994 का भारत दौरा उनके क्रिकेट करियर के सबसे मुश्कल दौरों में से एक था क्योंकि भारत आने से पहले लारा लगातार क्रिकेट खेल रहे थे और रन स्कोर कर रहे थे। भारत आने से पहले उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सिरीज में हिस्सा में लिया था। उसके बाद एजबेस्टन में डरहम काउंटी क्रिकेट क्लब के खिलाफ क्रिकेट खेला था। जाहिर तौर पर लगातार क्रिकेट ने उन्हें काफी थका दिया था। लेकिन बावजूद इसके वो सचिन के साथ कॉम्पिटिशन को मिस नहीं करना चाहते थे।
1994 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच 3 टेस्ट मैचों की सिरीज़ का पहला टेस्ट मुंबई में खेला गया था। जिसमें भारत ने 96 रन से जीत दर्ज की। इस टेस्ट में सचिन ने पहली पारी में 34 और दूसरी पारी में में 85 रन बनाए थे। जबकि ब्रायन लारा ने पहली पारी में 14 रन बनाए और दूसरी पारी में वो खाता भी नहीं खोल पाए। लारा ने बताया की वो पहले टेस्ट में खराब प्रदर्शन के साथ ही सचिन के साथ अपनी लड़ाई हार गए थे।
मुंबई टेस्ट जीतकर टीम इंडिया सिरीज में 1-0 से आगे थी। जिसके बाद नागपुर में खेला गया सिरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच ड्रॉ रहा। नागुपर टेस्ट की पहली ही पारी में सचिन ने 179 रन की शानदार पारी खेली। वहीं लारा ने पहली पारी में अर्धशतक जड़ा। दूसरी पारी में भी सचिन ने अपनी शानदार फॉर्म जारी रखी और 54 रन बनाए। वहीं दूसरी पारी में लारा महज 3 रन बना पाए।
लारा ने बताया कि सिरीज़ के आखिरी और निर्णायक टेस्ट में भारत ने मोहाली में ग्रीन टॉप देकर गलती की। मोहाली टेस्ट की पहली पारी में लारा ने 40 रन बनाए। जबकि सचिन ने भी पहली पारी में 40 रन बनाए। इसके बाद लारा ने दूसरी पारी में 91 रन बनाए। मैच पूरी तरह से भारत के हाथ से निकल चुका था। दूसरी पारी में सचिन के बल्ले से सिर्फ 10 रन निकले और भारत को इस मैच में 243 रनों के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
लारा ने मोहाली टेस्ट की दूसरी पारी में हुए किस्से को याद करते हुए बताया कि 'जब मैं 91 रन के निजी स्कोर पर खेल रहा था तब गेंद बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर नय मोंगिया के दस्तानों में गई। भारतीय गेंदबाज वेंकेटपति राजू ने जोरदार अपील की। लेकिन उसके बाद भी मैं क्रीज छोड़ने को तैयार नहीं था। मैं उम्मीद कर रहा था कि अंपायर वेंकेटराघवन मुझे नॉट आउट देंगे। लेकिन जैसे ही उन्होंने आउट का इशारा किया, मैं मैदान छोड़कर पवेलियन की तरफ लौट गया और इस तरह से मैं भारत में कभी भी टेस्ट शतक नहीं लगा पाया।
ये सिरीज़ भले ही 1-1 से ड्रॉ रही हो लेकिन अगर लारा और सचिन के प्रदर्शन की तुलना करें तो लारा ने 3 टेस्ट मैचों में 33 की औसत से 198 रन बनाए। जबकि सचिन तेंदुलकर ने 3 टेस्ट मैचों में 67 की औसत से 402 रन बनाए।
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