सौरव गांगुली की गिनती भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में की जाती है। उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी की जिम्मेदारी तब मिली जब टीम इंडिया पर फिक्सिंग के धब्बे लग चुके थे। लेकिन फिर भी गांगुली ने हार नहीं मानी और उन्होंने एक युवा टीम खड़ी कर भारत को वर्ल्ड क्रिकेट में एक नई पहचान दिलाई। गांगुली ने अपनी कप्तानी में युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और महेंद्र सिंह धोनी जैसे कई युवा खिलाड़ियों को जमकर सपोर्ट किया।
गांगुली के इसी सपोर्ट की वजह से भारत 2002 में नेटवेस्ट सीरीज और 2003 वर्ल्ड कप में फाइनल तक पहुंचने में सफल रहा था। गांगुली खिलाड़ियों की प्रतिभा को देख परख कर ही उन्हें खिलाते थे ना कि उनके खेलने के रवैये को बदला करते थे। इस वजह से ही गांगुली का कहना है कि आप ना तो युवराज सिंह को राहुल द्रविड़ बना सकते हैं और ना ही द्रविड़ को युवराज।
एक अच्छे लीडर का पाठ पढ़ाते हुए गांगुली ने अनअकैडमी से कहा "एक कप्तान के तौर पर आप ऐसी आशा कतई नहीं कर सकते हैं कि युवराज सिंह जैसा खिलाड़ी राहुल द्रविड़ जैसा बर्ताव करे। युवराज सिंह एक आक्रामक खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते थे तो वहीं द्रविड़ बेहद शांत किस्म के खिलाड़ी थे।"
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गांगुली ने आगे कहा "किसी भी बड़े लीडर की सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है उनकी अनुकूलनशीलता यानी वो किसी भी माहौल में खुद को एडजस्ट कर ले। एक लीडर को अपने टीम के खिलाड़ियों की प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। आप युवराज सिंह को राहुल द्रविड़ नहीं बना सकते और राहुल द्रविड़ को युवराज सिंह नहीं बना सकते। एक बेस्ट लीडर हमेशा ही अपनी गलतियों से सीखता है और असफलता उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। असफल होने पर हताश नहीं होना चाहिए और असफलता से मिली सीख ही आपको सफल बनाएगी।"