टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज और कमेंटेटर संजय मांजरेकर पिछले कुछ समय से अपनी कमेंट्री के कारण काफी विवादों से घिरे रहे थे। जिसके चलते भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( बीसीसीआई ) ने उन्हें कमेंट्री टीम से निकाल भी दिया था। ऐसे में अपने किए पर उनका मानना है कि मैदान के खिलाड़ियों पर कमेन्ट करना तो कमेंटेटर का काम है बल्कि खिलाड़ियों को उनकी बातों को दिल से नहीं लेना चाहिए और इग्नोर करना चाहिए।
इस बात का उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने रविचन्द्र अश्विन के साथ इन्स्टाग्राम पर कहा, " मेरे बारे में भी एक बार पूर्व खिलाड़ी दिलीप वेंगसरकर ने नेगेटिव कॉलम लिखा था। जिसके बाद मैंने उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा था। इस तरह क्रिकेट खिलाड़ियों को ब्रॉडकास्टर्स को महत्वहीन समझना चाहिए।"
इतना ही नहीं आगे उन्होंने सचिन तेंदुलकर के साथ हुए एक वाक्ये को याद करते हुए कहा कि एक कॉलम मैंने लिखा था जिस पर सचिन तेंदुलकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी लेकिन उसके बाद भी मैं शांत रहा था।
गौरतलब है कि संजय मांजरेकर हर्षा भोगले के साथ भी विवादों में फंस चुके हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट के दौरान उन्होंने कमेंटेटर हर्षा भोगले की काबिलियत पर सवाल उठा दिया था। उन्होंने कहा था कि जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेला ही नहीं, उसे क्रिकेट की क्या जानकारी। हालांकि लाइव वीडियो में उन्होंने हर्षा भोगले को भारत का सर्वश्रेष्ठ कमेंटेटर करार दिया। बता दें कि संजय मांजरेकर इससे पहले हर्षा भोगले पर की गई अपनी टिप्पणी के लिए अफसोस जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वह गलत थे और बेकाबू हो गए थे। उन्हें अपनी इस टिप्पणी के लिए खेद है।
इतना ही नहीं इससे पहले भी वो पिछले साल आईसीसी वनडे क्रिकेट विश्व कप के दौरान टीम इंडिया के हरफनमौला क्रिकेटर रविंद्र जडेजा पर भी एक टिप्पणी कर विवाद में फंस गए थे। मंजरेकर ने जडेजा को टुकड़ों में प्रदर्शन करना वाला खिलाड़ी कहा था। जडेजा को भी यह बात पसंद नहीं आई थी और उन्होंने मांजरेकर पर पलटवार किया था और मांजरेकर की काबिलियत पर ही सवाल उठाए थे। इसके बाद बीसीसीआई ने मांजरेकर को कमेंट्री टीम से हटा दिया था। इस पर रविंद्र जडेजा की आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ने मांजरेकर पर टिप्पणी कर उन्हें ट्रोल किया था।
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इस तरह तमाम विवादों के बाद संजय ने अश्विन के साथ बातचीत में कहा, "इसका सबसे अच्छा रास्ता ये हैं कि खिलाड़ियों को हम जैसे लोगों को गार्निश की तरह लेना चाहिए। मैच में हम इतना मायने नहीं रखते। वो खिलाड़ी हैं उनका प्रदर्शन मायने रखता है। मेरे कहने से या ना कहने से उन्हें कोई भी ड्राप नहीं करने जा रहा है।"
इसके बाद अश्विन ने मांजरेकर से एक बहुत ही शानदार सवाल पूछा। अश्विन ने कहा कि क्या आप कमेंट्री के सचिन तेंदुलकर बनना चाहते हैं? जिस पर संजय ने कहा, "अगर मैंने कुछ गलत किया है इसका मतलब मैं कुछ अधिक प्रयास कर रहा था। मैं सिर्फ सच बोलना चाहता हूँ और इसमें कोई अजेंडा नहीं है।"
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इतना ही नहीं अंत में मांजरेकर ने कहा, " मुझे अपनी सीमा पता है। इसलिए मैं अभी यहा हूँ वरना मैं बतौर कमेंटेटर 5 साल पहले ही खत्म हो गया होता। मगर भारतीय फैंस का क्रिकेट के प्रति लगाव बहुत ही अलग है। वे किसी को इतना प्यार करते हैं कि वे नहीं चाहते हैं कि कोई मेरे जैसा उनमें कमी निकाले।"