नई दिल्ली: शशांक मनोहर के अध्यक्ष बनने के एक सप्ताह के भीतर ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के कई राज़ों से पर्दा उठने लगा है। मनोहर और पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान आइसीसी चेयरमैन एन श्रीनिवासन के बीच 36 का आंकड़ा है और मनोहर ने सत्ता पर काबिज़ होने के साथ ही उन पर और उनके चहेतों पर निशाना साधना शुरु कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार एक हफ़्ते के भीतर ही कुछ वित्तीय घपले सामने आए हैं और इस संबंध में 17 अक्टूबर को बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई जा सकती है। सही जवाब नहीं मिला तो एफआइआर भी कराई जा सकती है।
BCCI पिछले दो साल में कई मुक़दमें में फंसा रहा है और उसे मुक़दमें बाज़ी में 65 करोड़ रुपये का चूना भी लग चुका है। इस दौरान BCCI के 353 करोड़ के फिक्स्ड डिपॉजिट भी ख़ाली हो गए।
श्रीनिवासन के विश्वासपात्र तत्कालीन सचिव संजय पटेल, आइपीएल सीओओ सुंदर रमन और वर्तमान कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को क्रेडिट कार्ड मुहैया कराए गए थे, जिसकी लिमिट 30-30 लाख रुपये थी। इसका भुगतान BCCI करता था।
बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि तीनों श्रीनिवासन के चहेते थे और उनके कार्यकाल में इनकी ही चलती थी। बोर्ड के काम से बाहर जाने और अन्य खर्चो के लिए इन तीनों को क्रेडिट कार्ड दिये गए थे। मनोहर को पता चला है कि इसके लिए सदन से कोई अनुमति भी नहीं ली गई थी।
चौधरी का कहना है कि बोर्ड के हर अधिकारी का एक इंट्रेस्ट एकाउंट होता है। मैं इसके चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था इसलिए मैंने इसे नहीं खुलवाया। हमने तब कार्ड सिस्टम शुरू किया था और बीसीसीआइ से जुड़े खर्चो का भुगतान इसके जरिये करते थे। हालांकि वह नहीं बता पाए कि सिर्फ सचिव, आइपीएल सीओओ व कोषाध्यक्ष को ही ये कार्ड क्यों जारी किए गए।