लखनऊ। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की लगातार जारी आलोचना और उनके संन्यास की उठती मांगों के बीच पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चेतन चौहान ने कहा कि इस चैम्पियन क्रिकेटर पर दबाव डालने के बजाय भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान का एहतराम करते हुए उन्हें खुद फैसला लेने दिया जाए।
उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री चौहान ने रविवार को 'भाषा' से बातचीत में कहा, ‘‘विश्व कप में अपेक्षानुरूप प्रदर्शन न कर पाने की वजह से धोनी की आलोचना करने वालों को यह नहीं भूलना चाहिये कि भारतीय क्रिकेट में धोनी का बेमिसाल योगदान रहा है। इसे अल्फाज में बयान करना मुश्किल है। यह सही है कि विश्वकप में धोनी का प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं रहा, मगर उन पर संन्यास लेने का दबाव डालने के बजाय यह निर्णय उन्हीं पर छोड़ देना चाहिये।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धोनी ने भारत को क्रिकेट के सभी प्रारूप में चैम्पियन बनाया है। उनके ऐतिहासिक योगदान को भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अल्फाज में लिखा जाएगा।’’
इस सवाल पर कि क्या भारतीय टीम के पास इस वक्त धोनी का कोई विकल्प है, चौहान ने कहा ''इतनी आसानी से दूसरा महेन्द्र सिंह धोनी पैदा नहीं होगा। उनके नजदीक पहुंचने के लिये दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाजों को बहुत मेहनत करनी होगी।''
विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में धोनी को सातवें नम्बर पर बल्लेबाजी करने के लिये भेजने के निर्णय को बड़ी चूक करार देते हुए पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि उस वक्त जैसे हालात थे, उनमें धोनी को पांचवें नम्बर पर उतारना चाहिये था।
उन्होंने कहा, ‘‘तीन विकेट गिरने के बाद पांचवें नम्बर पर पारी को सम्भालने वाला बल्लेबाज चाहिये था। धोनी यह काम बखूबी कर सकते थे। उस स्थिति में हमारे पास नीचे के क्रम में ऋषभ पंत या हार्दिक पंड्या में से एक आक्रामक बल्लेबाज बच जाता, जो आखिरी ओवरों में ताबड़तोड़ शॉट खेलकर मैच जिता सकता था। मगर ऐसा न होने के कारण 92 रन पर छह विकेट गिर गये और धोनी तथा रवीन्द्र जडेजा पर जबर्दस्त दबाव आ गया।’’
भारत के लिये 40 टेस्ट और सात वनडे मुकाबले खेल चुके चौहान ने कहा कि धोनी का बल्लेबाजी क्रम बदलने से नुकसान हुआ। उन्हें निश्चित बल्लेबाजी क्रम नहीं मिला, ऐसे में अस्थिरता पैदा हुई।
चौहान ने टीम के चयन पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘चौथे नम्बर पर अजिंक्य रहाणे या अम्बाती रायुडू जैसे लम्बी पारी खेलने की क्षमता रखने एक अतिरिक्त बल्लेबाज की जरूरत थी। टीम इंडिया में चार और पांच नम्बर की बल्लेबाजी बेहद कमजोर थी। यह कमी सेमीफाइनल में उजागर हो गयी।’’