क्रिकेट की दुनिया में 'दादा' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली आज अपना 45वां जन्मदिन मना रहे हैं। दादा का का जन्म 8 जुलाई, 1972 को एक रईसा परिवार में हुआ था। सौरव के पिता चंडीदास गांगुली का शुमार कोलकाता के अमीर लोगों में होता था तो ज़ाहिर है उनका बचपन सुविधाओं में बीता। आपको शायद हैरानी हो कि क्रिकेट खेल सौरव की पहली पसंद नही था। कोलकाता में फुटबॉल बहुत प्रसिद्ध है और सौरव भी ख़ूब फ़ुटबॉल खेला करते थे लेकिन अपने बड़े भाई के कहने पर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरु किया और उसके बाद जो उन्होंने किया वो आज सबके सामने है।
आते ही जड़ा क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में शतक
लार्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर सौरव गांगुली ने अपने टेस्ट करियर का आग़ाज़ सही मायने में एक महाराजा की तरह ही किया। इस मैच में सौरव ने 131 रनों बनाए थे। अमूमन क्रिकेट ऐसा खेल है जिस पर घरेलू माहौल यानी पिच, वातावरण और आबोहवा का बहुत असर पड़ता है और यही वजह है कि क्रिकेटर्स अपने घरों में ज़्यादा बहेतर खेलते हैं लेकिन सौरव ने ये मिथक तोड़ दिया। भारत में घरेलू माहैल में बड़े-बड़े स्कोर खड़े करने वाले कई बल्लेबाज विदेशी दौरों पर जहां ढेर हो जाते हैं वही सौरव ने ख़ुद को विदेशी सरज़मीं पर ख़ुद को शेर साबित किया।
यहां सचिन तेंदुलकर भी फीके पड़े दादा के सामने
विदेशी धरती पर भी इस 'बंगाल टाइगर' ने अपनी धाक जमाई है। में सौरव गांगुली एशिया से बाहर सबसे ज़्यादा शतक मारने वाले भारतीय बल्लेबाज़ों में अव्वल हैं। विदेशी धरती पर शतक जड़ने के मामले में गांगुली ने सचिन तेंदुलकर को भी पीछे छोड़ा। सचिन ने 11 शतक लगाए थे जबकि दादा ने 12 शतक लगाए हैं। आज की पीढ़ी के क्रिकेटर भी उनके इस रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर पाए हैं। टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली के नाम 10, शिखर धवन और रोहित शर्मा के नाम सात-सात शतक हैं।
ऐसे मिला निकनेम 'महाराजा'
दादा का अंदाज बचपन से ही नवाबी था और इसीलिए उन्हें महाराजा पुकारा जाने लगा। ये राजसी अंदाज़ उनका जवानी में भी जारी रहा। इंग्लैंड दौरा सौरव की पहली टेस्ट सीरीज थी लेकिन उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत इससे चार साल पहले यानी वेस्टइंडीज में 1992 में हुई थी। इस दौरे में उन्हें एक ही वनडे मैच खेलने का मौका मिला मिला था जिसमें वह मजह तीन रन बनाकर आउट हो गए थे। सौरव इस दौरे पर अपनी नाकामी की वजह से नहीं बल्कि अपने अड़ियल व्यवहार की वजह से चर्चित हुए थे। कहा जाता है कि उन्होंने बतौर एक्स्ट्रा खिलाड़ी मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने से भी मना कर कर दिया था। सौरव ऐसे रवैये के चलते लोगों ने कटाक्ष के तौर पर उन्हें ‘महाराजा’ का निकनेम भी दे दिया था। वैसे नवाबी अंदाज़ की वजह से दादा को बचपन से 'महाराजा' के नाम से पुकारा जाता था।
दादा का 15 साल का सफ़र
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने 1992 में अपना वनडे डेब्यू किया और 2007 में रिटायर हुए. अपने 15 साल के करियर में गांगुली ने 311 मैच खेले। उन्होंने 41.02 के औसत से कुल 11363 रन बनाए। अपने वनडे करियर में गांगुली ने 22 शतक और 72 अर्ध-शतक बनाए। वनडे में उनका अधिकतम स्कोर 183 रन रहा है।