भारत ने पांच मैचों की टी-20 सीरीज में न्यूजीलैंड पर 3-0 की अजेय बढ़त ले ली थी। आखिरी दो मैचों में संजू को मौका मिला। चौथे मैच में रोहित शर्मा को आराम दिया गया तो संजू ने लोकेश राहुल के साथ पारी की शुरुआत की, लेकिन संजू फिर मौके को भुना नहीं पाए। सिर्फ आठ रन उनके बल्ले से निकले। उससे ज्यादा तकलीफ देह संजू को खराब शॉट रहा।
पांचवें और आखिरी मैच में रोहित लौटे लेकिन कोहली को आराम दिया गया। टीम प्रबंधन ने संजू को आत्मविश्वास देने के लिए उनके स्थान से छेड़छाड़ नहीं की और राहुल के साथ सलामी बल्लेबाजी करने दिया। रोहित ने अपना स्थान कर्बान किया और खुद तीन नंबर आए।
संजू से इस बार उम्मीद थी कि वह टीम प्रबंधन को निराश नहीं करेंगे। लेकिन स्कॉट कुगलेजिन की गेंद पर संजू सीधा कैच मिशेल सैंटनर को एक्सट्रा कवर पर दे बैठे।
संजू के चेहरे पर जो भावनाएं थीं वो बता रही थीं कि कुछ बड़ा उनके हाथ से गया। बात सही भी है। तीन मौकों पर लगातार विफल रहना वो भी तब जब आप बैकअप के तौर पर आए हैं तो जाहिर सी बात है कि जगह बनाए रखने का सवाल खड़ा हो गया।
इस दौरान संजू के ऊपर दबाव भी देखा गया। शायद इसी दबाव में संजू विफल रहे।
देखा जाए तो बांग्लादेश के खिलाफ अगर सीरीज को छोड़ दिया जाए संजू कभी भी टीम में पहले विकल्प के तौर नहीं आए थे। किसी न किसी के चोटिल होने के बाद चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम में मौका मिला। यह बात संजू को समझनी थी कि अगर वह पहली पसंद बनना चाहते हैं तो बल्ले से रन करना जरूरी था।
वह सिर्फ टी-20 में ही चुने गए थे और अगर खेल के सबसे छोटे प्रारूप में उनका बल्ला बोलता तो वनडे के लिए भी रास्ता बनता लेकिन संजू ने टी-20 टीम के लिए एक दरवाजा शायद बंद कर लिया है। वह तीनों मौकों पर दहाई के आंकड़ों को भी नहीं छू सके।
चयनकर्ता किस तरह अब संजू को देखते हैं यह देखना दिलचस्प होगा। संजू को अब एक बार फिर आईपीएल में दमदार करना होगा तभी वह अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकते हैं।