भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज संदीप पाटिल ने रविवार को कहा कि कोरोना महामारी के बाद जब भी खेल शुरू हो, तब तक खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों को बिना चोटिल हुए वापसी सुनिश्चित करने की सलाह दी।
कोरोनोवायरस महामारी के कारण पिछले 3 महीने से क्रिकेट गतिविधियां ठप्प पड़ी है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि जुलाई में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज का आगाज होने जा रहा है जो इस महामारी के बीच खेला जाने वाला पहला इंटरनेशनल क्रिकेट मैच होगा। ये पूरी सीरीज जैव-सुरक्षित वातावरण में खेली जाएगी। हालांकि कोरोना के खतरे को देखते हुए भारतीय टीम का अगले कुछ महीनों में कोई भी मैच या सीरीज निर्धारित नहीं है।
पाटिल ने 'स्टार स्पोर्ट्स' से बातचीत कहा, "ये बहुत अनिश्चित समय हैं और बिना किसी चोट के वापसी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। लेकिन उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि इन सभी चुनौतियों का सबसे पहले दृढ़ता से सामना करना होगा।"
उन्होंने कहा, "आपको धीरे-धीरे शुरू करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप बिना चोटिल हुए वापसी करें। इसी चीज पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करें। जब मैं केन्या का कोच था, तो मैं हमेशा किसी भी टूर्नामेंट से पहले मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित करता था।"
भारत के लिए 29 टेस्ट खेलने वाले 63 वर्षीय संदीप पाटील ने 1983 के विश्व कप फाइनल में मजबूत वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत का उदाहरण देते हुए कहा कि उस मैच ने साबित कर दिया कि मानसिक ताकत कैसे गेम जीत सकती है।
उन्होंने कहा, "1983 विश्व कप फाइनल मैच में 183 पर ऑलआउट होने के बाद हमें लगा कि हम मैच हार गए हैं। लेकिन दूसरी पारी में मैदान पर कदम रखने से पहले हम सभी ने अपने दिमाग में और एक टीम के रूप में एक मजबूत संकल्प किया। बाकी तो सब इतिहास है!"
पाटिल ने आगे कहा, "ग्रीनेज और विव रिचर्ड्स के खिलाफ गेंदबाजी करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन हम अपना सारा ध्यान ट्रॉफी पर केंद्रित कर रहे थे, हम यह करने में सक्षम थे। इसलिए, सिर्फ क्रिकेटर्स ही नहीं, बल्कि किसी भी खिलाड़ी के लिए मानसिक रूप से परिपक्व होना बहुत जरूरी है।"