नई दिल्ली। मुंबई इंडियन्स और रायल चैलेंजर बेंगलूर के बीच गुरूवार को खेले गये इंडियन प्रीमियर लीग मैच में गलत अंपायरिंग के बाद भी इस बात की संभावना कम है कि सुंदरम रवि पर कोई प्रतिबंध लगे क्योंकि टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय अनुभव वाले अंपायरों की संख्या काफी कम है। इस मैच की आखिरी गेंद को नोबाल नहीं दिये जाने पर रायल चैलेंजर्स बेंगलोर के कप्तान विराट कोहली ने गुस्से का इजहार किया।
आईपीएल के 56 मैचों के लिए मैदान और टेलीविजन के लिए केवल 11 भारतीय अंपायर हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि रवि को मैच रेफरी से नकारात्मक अंक मिलने के बाद भी बीसीसीआई शायद ही कोई सुधारात्मक उपाय कर सके। अंपायरों के काम आवंटन से जुड़े एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से शुक्रवार को बताया, ‘‘फिलहाल हमारे पास केवल 17 अंपायर हैं जिन्हें मैदान और तीसरे अंपायरों का काम सौपा गया है। उनमें से 11 भारतीय और एलीट पैनल के छह विदेशी अंपायर है। उनके अलावा, चौथे अंपायर के रूप में हमारे पास छह और भारतीय अंपायार है।’’
रवि आईसीसी के एलीट पैनल में एकमात्र भारतीय अंपायर है लेकिन मुंबई इंडियंस के लसिथ मलिंगा की बड़ी नोबाल को नहीं देख सके और विवादास्पद परिस्थितियों में रायल चैलेंजर्स बेंगलोर की टीम छह रन से मैच हार गई। कोहली ने मैच के बाद आईपीएल के अंपायरों को ‘आंखें खुली’ रखने की सलाह दी। रोहित शर्मा ने इस मुकाबले के दूसरे अंपायर सी नंदन की आलोचना की।
खासबात यह है कि नंदन को दो साल पहले बीसीसीआई पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ भारतीय अंपायर चुना गया था। बीसीसीआई में अटकलें लगाई जा रही हैं कि रवि और नंदन का आईपीएल के प्ले-ऑफ मैचों में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा क्योकि मारियस इरास्मस और क्रिस गाफ्नेय जैसे अंतरराष्ट्रीय अंपायर मौजूद है।
प्रशासकों की समिति (सीओए) के साथ बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी लंबे समय से भारतीय अंपायरों के घटते स्तर को लेकर चिंतित है, लेकिन उसका समाधान नहीं निकाल पा रहे है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास जो 11 अंपायर है उसमें से केवल पांच ऐसे है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की है। रवि के अलावा नंदन, शमशुद्दीन, अनिल चौधरी और नितिन मेनन हैं आईसीसी के अंतरराष्ट्रीय पैनल में हैं। अन्य छह अंपायर फिलहाल घरेलू मैचों में अंपायरिंग कर रहे है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैच रेफरी मनु नायर के पास अपनी रिपोर्ट में रवि और नंदन के की गलतियों का उल्लेख करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस बात को मानना होगा कि उनकी जगह दूसरों को लेने से स्थिति और खराब होगी। इसलिए उन्हें सजा देने का सवाल ही नहीं उठता।’’