इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच 8 जुलाई से टेस्ट सीरीज का आगाज होने जा रहा है जिसमें गेंदबाज गेंद को चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। आईसीसी ने हाल ही में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। कई गेंदबाजों ने इस फैसले को अपने खिलाफ बताया था और कहा था कि ये चीज बल्लेबाजों के पक्ष में जाएगी।
इस पर अब भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल का बड़ा बयान आया है। चैपल का कहना है कि लार पर प्रतिबंध के कारण मुकाबला ‘बहुत हद तक’ बल्लेबाजों के पक्ष में नहीं जाएगा क्योंकि पसीने के इस्तेमाल से भी गेंद को चमकाने में मदद मिलती है।
ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व कप्तान ने ‘सिडनी मोर्निंग हेराल्ड’ से कहा, ‘‘ अगर वे अपने माथे से पसीना पोंछ रहे हैं, तो वहां सनस्क्रीन लगी होगी। अगर वे लार के उपयोग के लिए कुछ चबा रहे होते हैं, इससे क्या होने वाला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसमें बड़ी बात क्या है। पसीना निकलना लार के बराबर होगा। ईमानदारी से कहूं तो मैं इसमें अंतर नहीं देखता।’’ गेंद बनाने वाली कंपनी कूकाबुरा ने गेंदों को चमकाने के लिए वैक्स ऐप्लिकेटर विकसित किया है, लेकिन चैपल ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘गेंदबाज नयी चीज खोजने में माहिर होते हैं। अगर उन्हें पसीना आता है तो गेंद की चमक बरकरार रहेगी। जब तक गेंद कठोर और खुरदुरी होगी तब तक गेंदबाज को मदद मिलती रहेगी।"
इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को गेंदबाजों के लिए नुकसानदायक बताया था। वसीम अकरम का का कहना था कि लार का इस्तेमाल ना करने से बल्लेबाज के सामने गेंदबाज एक रोबोट की तरह हो जाएंगे।
वसीम अकरम ने कहा, "इस तरह गेंदबाज एक रोबोट की तरह हो जाएंगे जो बिना स्विंग के सिर्फ आएंगे और गेंदबाजी करेंगे। ये काफी कठिन होगा जैसे कि मैं जब बड़ा हो रहा था तो गेंद को लार से चमकाता था। जिससे वो स्विंग हो। इस कठिन समय में सभी को सावधानी बरतना होगा मगर गेंदबाजों को इंतज़ार करना होगा जब वो पुराना होगा तो उन्हें रफ साइड का इस्तेमाल स्विंग के लिए करना होगा।"
(With PTI inputs)