अर्जुन पुरस्कार के लिये अनदेखी किये जाने के बाद ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने सोशल मीडिया पर निराशा व्यक्त की। साक्षी को पहले ही देश का सबसे बड़ा सम्मान ‘खेल रत्न’ मिल चुका है लेकिन उन्होंने अर्जुन पुरस्कार के लिये भी नामांकन किया था।
पुरस्कार चयन समिति ने इस पर फैसला करने का अधिकार खेल मंत्री पर छोड़ दिया था और खेल मंत्रालय ने उनके नाम को खारिज कर दिया। भारोत्तोलक मीरा बाई चानू के आवेदन को भी खारिज कर दिया गया क्योंकि उन्हें भी खेल रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
साक्षी ने शनिवार को हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और माननीय खेल मंत्री किरेन रीजीजू जी। मुझे खेल रत्न से सम्मानित किया गया है, मुझे बात का गर्व है। हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह सारे पुरस्कार अपने नाम करे। खिलाड़ी इसके लिये अपनी जान की बाजी लगाते हैं। मेरा भी सपना है कि मेरे नाम के आगे अर्जुन पुरस्कार विजेता लगे। मैं ऐसा और कौन सा पदक देश के लिये लेकर आऊं कि मुझे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाये। या इस कुश्ती जीवन में मुझे कभी यह पुरस्कार जीतने का सौभाग्य ही नहीं मिलेगा? ’’
रियो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नतीजे हासिल करने के बारे में तो छोड़ ही दीजिये, वह अपने वजन वर्ग में उभरती हुई युवा पहलवानों को हराने में भी जूझती रही हैं। दो बार वह सोनम मलिक से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के ट्रायल्स के दौरान हार गयीं।
साक्षी ने हाल में दावा किया था कि उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद राज्य सरकार से सिर्फ आश्वासन ही मिला है। उन्होंने गुरूवार को ट्वीट किया था, ‘‘अभी तक मुझे न तो जमीन का टुकड़ा और न ही नौकरी मिली है। मैं पहले खेल मंत्री और मुख्यमंत्री से भी मिल चुकी हूं लेकिन मुझे सिर्फ आश्वासन ही मिला है। ’’
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने हालांकि इस दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जब वह ओलंपिक से पदक जीतकर भारत लौटी थीं तभी उन्हें 2.5 करोड़ रूपये का चेक दे दिया गया था। ’’