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टीम इंडिया सचिन तेंदुलकर का जीत का ये नुस्ख़ा अपनाकर साउथ अफ्रीका में रच सकती है इतिहास

लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने एक ऐसा नुस्ख़ा बताया है जिसे अगर इंडिया अमल में लाती है तो वो इस बार वो कर सकती है जो 25 साल में नहीं हुआ है यानी साउथ अफ़्रीका में टेस्ट सिरीज़ में जीत.

Written by: India TV Sports Desk
Published on: January 03, 2018 14:28 IST
Sachin Tendulkar- India TV Hindi
Sachin Tendulkar

टीम इंडिया इस समय साउथ अफ़्रीका के कठिन दौरे पर है जहां पहला टेस्ट मैच पांच जनवरी से शुरु होगा. तीन टेस्ट के अलावा इंडिया को छह वनडे और तीन टी-20 मैच खेलने हैं. इंडिया ने हाल ही में घर में ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है लेकिन विदेश में भारत का प्रदर्शन निराशा जनक रहा है ख़ासकर साउथ अफ़्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में. इस लिहाज़ से कोहली एंड कंपनी के लिए ये बड़ी चुनौती होगी. लेकिन लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने एक ऐसा नुस्ख़ा बताया है जिसे अगर इंडिया अमल में लाती है तो वो इस बार वो कर सकती है जो 25 साल में नहीं हुआ है यानी साउथ अफ़्रीका में टेस्ट सिरीज़ में जीत.

तेंदुलकर का कहना है कि नई बॉल को किस तरह से हैंडल किया जाता है, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा. उन्होंने कहा, ‘अगर हम नई गेंद को अच्छी तरह से हैंडल करने में कामयाब होते हैं तो मैच को में रफ़्तार को बढ़ाने में मुश्किल नहीं होती. बल्लेबाज़ों का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह से रन बनाना होता है. टेस्ट में यह भी ज़रूरी है कि आप पहले दिन कैसे खेलते हैं.

पिच को लेकर तेंदुलकर ने कहा कि टीम इंडिया ने हाल ही में कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ जिस पिच पर टेस्ट मैच खेला था, वह पिच अलग थी, यहां तक कि मोहाली की पिच भी अलग ही है, बहुत कुछ पिच पर भी निर्भर करता है. उन्होंने कहा, ‘मैदान में खेलते वक्त इस बात का पहले पता लगाना चाहिए कि पिच की प्रकृति कैसी है. मुझे याद है 2011 में कैपटाउन में जब मैं खेला था तब बहुत से ऑफ-पिच मूवमेंट देखने को मिले थे. काफी समय बीत चुका है लेकिन मुझे याद है कि वहां बल्लेबाज़ी करना अच्छा अनुभव था. तो ऐसे में बहुत सी बातें स्थिति पर भी निर्भर करती हैं.’

मास्टर ब्लास्टर ने यह भी बताया कि बल्लेबाज़ों के लिए 18 से 20 ओवरों के बाद का समय काफी कठिन होता है. उन्होंने कहा, ‘नई गेंद को ठीक से हैंडल करना तो  ज़रूरी है ही लेकिन अगर गेंद एसजी बॉल है तो बल्लेबाज़ के लिए 18वें से 20वें ओवर तक महत्वपूर्ण चरण शुरू हो जाता है और 40वें से 50वें ओवर तक का समय काफी ख़तरनाक होता है. अगर विकेट सपाट है तो इन ओवर्स के बीच बॉल रिवर्स स्विंग करती है. गेंद इसके बाद भी रिवर्स स्विंग करेगी, लेकिन यहां अलग गति से स्विंग होने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसे में जब आप विदेश में खेलते हैं, अपने देश से दूर होते हैं, तब शुरू के 25 ओवर्स काफी मुश्किल होते हैं. नई गेंद के साथ-साथ वह पिच पर कैसा मूवमेंट लेती है वह भी महत्वपूर्ण होता है.’

इसके साथ ही तेंदुलकर ने नई गेंद के साथ डील करने का मूलमंत्र अनुशासन बताया है. उनका कहना है कि जब बल्लेबाज़ मैदान पर होता है तो नई गेंद से डील करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कुंजी अनुशासन होता है. इसके अलावा आपके फुटवर्क पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. फुटवर्क दिमाग पर निर्भर करता है. अगर आपका दिमाग फ्री है तो आपका फुटवर्क चलेगा. तेंदुलकर का कहना है कि बहुत कुछ बल्लेबाज़ के दिमाग पर भी निर्भर करता है.

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