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डे-नाइट टेस्ट पर बोले सचिन तेंदुलकर, ये मैच तभी सफल होगा जब ओस से प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा

सचिन तेंदुलकर ने कहा कि भारत का पहला दिन-रात्रि टेस्ट तभी सफल होगा जब ईडन गार्डन्स में ओस से प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा।

Reported by: Bhasha
Published on: October 31, 2019 15:51 IST
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली- India TV Hindi
Image Source : PTI सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली

दिल्ली। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा कि भारत का पहला दिन-रात्रि टेस्ट तभी सफल होगा जब ईडन गार्डन्स में ओस से प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा। उन्हें अंदेशा है कि ओस से तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। तेंदुलकर ने भारत में टेस्ट मैच दूधिया रोशनी में कराने का स्वागत करते हुए कहा कि यह ‘अच्छा कदम’ है और दर्शकों को इस पारंपरिक प्रारूप की ओर खींचकर लाएगा।

 भारत अपना पहला दिन-रात्रि टेस्ट कोलकाता में 22 नवंबर से बांग्लादेश के खिलाफ गुलाबी गेंद से खेलेगा। तेंदुलकर ने पीटीआई को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘जब तक ओस मैच को प्रभावित नहीं करती तब तक यह अच्छा कदम है लेकिन अगर ओस का प्रभाव पड़ता है तो तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा।’’

उन्होंने कहा,‘‘लेकिन एक बार गेंद गीली हो गई तो ना तो तेज गेंदबाज अधिक कुछ कर पाएंगे और ना ही स्पिनर। इस तरह से गेंदबाजों की परीक्षा होगी। लेकिन अगर ओस नहीं होती है तो यह अच्छा कदम होगा।’’

ईडन गार्डन्स पर हालांकि दिन-रात्रि एकदिवसीय मैचों के दौरान ओस की समस्या रही है और तेंदुलकर की परेशानी का कारण यही है। टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सबसे सफल बल्लेबाज तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यहां ओस बड़ी भूमिका निभाएगी। हमें देखने की जरूरत है कि वहां कितनी ओस पड़ेगी। ओस फैसला करेगी कि दोनों टीमें किस हद तक प्रतिस्पर्धा पेश करेंगी। हालात का किसी चीज (प्रतिस्पर्धा पेश करने की क्षमता) पर असर नहीं पड़ना चाहिए।’’ 

तेंदुलकर हालांकि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली से सहमत हैं कि यह प्रयोग स्टेडियम में दर्शकों को वापस खींचने के लिए अच्छा विचार है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे दो तरह से देखा जा सकता है। पहला इसे जनता के नजरिये से देखा जा सकता है। यह अच्छा नजरिया है क्योंकि लोग काम के बाद दिन-रात्रि टेस्ट देख पाएंगे। लोग शाम को आकर मैच का लुत्फ उठा सकते हैं।’’ 

इस महान बल्लेबाज ने कहा,‘‘खिलाड़ियों के नजरिए से देखा जाए तो गुलाबी गेंद से खेलना और यह देखना कि यह पारंपरिक लाल गेंद से यह किस तरह अलग व्यवहार करती है, बुरा विचार नहीं है।’’

शोएब अख्तर हों या शेन वार्न, किसी भी गेंदबाज का सामना करने के लिए तेंदुलकर पूरी तैयारी के साथ उतरते थे और उन्होंने नेट सत्र के लिए भारतीय बल्लेबाजों को टिप्स भी दिए। उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘बल्लेबाजों को नेट पर अलग अलग तरह की गेंदों के साथ अभ्यास करने की जरूरत है। नई गुलाबी गेंद, 20 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद, 50 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद और 80 ओवर पुरानी गेंद। देखना होगा कि नई गेंद, थोड़ी पुरानी और पुरानी गेंद किस तरह बर्ताव करती है। इसके अनुसार अपनी रणनीति बनाओ।’’

इस साल दलीप ट्राफी नहीं होने के कारण तेंदुलकर ने भारतीय टीम से अपील की कि वे उन सभी खिलाड़ियों से सुझाव लें जो पिछले तीन साल इस प्रतियोगिता में खेले। दलीप ट्राफी मैच दूधिया रोशनी में खेले गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय लड़कों को उन सभी खिलाड़ियों से भी सलाह लेनी चाहिए जो दलीप ट्रॉफी में खेले और उनके पास साझा करने के लिए कुछ चीजें होनी चाहिए।’’ 

तेंदुलकर ने 1991-92 के अपने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे को भी याद किया जहां पांच टेस्ट मैचों के बीच में त्रिकोणीय श्रृंखला (भारत, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच) का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि हमने लाल गेंद से शुरुआत की, इसके बाद सफेद गेंद से खेले और फिर दोबारा लाल गेंद से क्रिकेट खेला। यह मेरे लिए नई चीज थी क्योंकि मैं सफेद गेंद से काफी नहीं खेला था।’’ 

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं बहुत कम (नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय) खेला था। इसलिए लाल गेंद से सफेद गेंद में सामंजस्य बैठाने की जरूरत पड़ी। इसलिए मैं कह सकता हूं कि गुलाबी गेंद के खिलाफ खेलने से निश्चित तौर पर कुछ अलग महसूस होगा।’’

एक अन्य पहलू यह है कि गुलाबी गेंद के रंग को बरकरार रखने के लिए पिच पर कम से कम आठ मिलीमीटर घास छोड़नी होगी। तेंदुलकर का मानना है कि इससे तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी लेकिन अच्छा स्पिनर भी प्रभावी हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘बेशक इससे तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलेगी लेकिन अगर आपके पास स्तरीय स्पिनर है तो वह भी इस तरह की पिच पर गेंदबाजी का तरीका ढूंढ सकता है। स्पिनर के लिए यह आकलन करना महत्वपूर्ण होगा कि सतह से कितना उछाल मिल रहा है और गेंद कितनी स्किड कर रही है।’’

ऐसी स्थिति में विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा अपने गेंदबाजों का मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विकेटकीपर बड़ी भूमिका निभाएगा। उसे बताना पड़ेगा कि गेंद रुक कर आ रही है या नहीं।’’

तेंदुलकर को भरोसा है कि पहले प्रयास के बावजूद एसजी कंपनी अच्छे स्तर की गुलाबी गेंद मुहैया कराने में सफल रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘एसजी प्रतिष्ठित कंपनी है। निश्चित तौर पर इसे लागू करने से पहले उन्होंने सभी चीजों को परखा होगा। मेरा मानना है कि जरूरी कदम उठाए गए होंगे।’’ 

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