नई दिल्ली: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर... जो लोगों के लिए जीते थे, अपने फैंस अपने देशवासियों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए खेलते थे। वो सचिन आज भी सबके के दिलों में बसते हैं। सचिन ने 24 साल तक इंटरनेश्नल क्रिकेट को इतने शानदार तरीके से जिया कि क्रिकेट इतिहास का वो हर एक लम्हा अमर हो गया।
कोच रमाकांत आचरेकर ने की हीरे की पहचान
सचिन ने बचपन में शौकिया तौर पर बल्ला थामा जो चलकर उनका सबसे बड़ा हथियार बना। 1985 में सचिन के बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उन्हें शिवाजी पार्क में कोच रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए। और आचरेकर ने सचिन के टेलेंट को पहचाने में ज्यादा समय नहीं लिया, वो समझ गए थे कि ये नन्हा सा बच्चा जल्द ही वर्ल्ड क्रिकेट का बादशाह बनने वाला है।
सचिन अपने कोच रमाकांत आचरेकर की देखरेख में दिन-रात प्रैक्टिस करते थे। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी था जब 12 साल की उम्र में सचिन ने लगातार 55 दिनों तक मैच भी खेला और प्रैक्ट्स भी की। जल्द उन्हें मुंबई की रणजी टीम में जगह मिल गई। उस समय घरेलू क्रिकेट में मुंबई सिर्फ मुबंई का ही दबदबा हुआ करता था। मुंबई रणजी चैंपियन थी और सिर्फ 12 साल की उम्र में चैंपियन टीम का हिस्सा बनना अपने आप में बड़ी उपल्बधि थी और सचिन गुजरात के खिलाफ अपने पहले ही रणजी में शनादर शतक जड़कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे।
पाकिस्तान दौरे के लिए टीम इंडिया में मिली जगह
सचिन अपने जुनून, लगन और मेहनत के दमपर टीम इंडिया में जगह बनाने में कामयाब रहे। 1989 में पाकिस्तान दौरे के लिए सचिन को टीम में शामिल किया गया। सियालकोट में खेले गए आखिरी टेस्ट मैच में जब सचिन बल्लेबाजी कर रहे थे, तो वकार यूनिस की गेंद जाकर सचिन के नाक पर लगी। उनका चेहरा लहूलुहान हो गया। वो गिरे मेडीकल स्टॉफ मैदान की दौड़ा पर उन्होंने मदद से इंकार किया। सचिन की ऐसी हालत देखकर पाकिस्तान के दिग्गज तेज गेंदबाज वसीम अकरम सोच रहे थे कि शायद इतना घायल होने के बाद सचिन क्रीज छोड़कर चले जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सचिन ने पट्टी बांधी और अगले ओवर में वकार यूनुस की गेंद पर दो शानदार चौके लगाए। उस मैच में उन्होंने 57 रन की बेहतरीन पारी खेली। महज 16 साल की उम्र में सचिन ने जो हौसला दिखाया उसके आगे वर्ल्ड क्लास पाकिस्तानी गेंदबाज भी पस्त हो गए।
सचिन 'रिकॉर्ड' तेंदुलकर
इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भी सचिन ने खुद को साबित करने में ज्यादा समय नहीं लिया और 17 साल की उम्र में उन्होंने 14 अगस्त 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफोर्ड में टेस्ट में पहला शतक जड़ा। फिर तो मानो सचिन को शतकों का ऐसा चसका चढ़ा कि वो खलेते गए और रिकॉर्ड बनते गए।
सचिन की लव स्टोरी
इन सबके बीच सचिन का प्यार भी परवान चढ़ रहा था। 5 साल के अफेयर के बाद सचिन ने 24 मई 1995 को महज 22 साल की उम्र में अपने से 6 साल बड़ी डॉक्टर अंजलि से शादी कर ली। 1990 में विदेश दौरे से लौटते समय सचिन ने पहली बार अंजलि को एयरपोर्ट पर देखा और देखते ही उन्हें अंजलि से प्यार हो गया था। हालंकि शादी के बाद भी सचिन का लिए खेल लिए वहीं कमीटमेंट था। सचिन ने क्रिकेट को हमेशा अपने गर-परिवार से ऊपर रखा।
सचिन बने टीम इंडिया के कप्तान
1996 वर्ल्डकप में जब सचिन ने 87 से ज्यादा की औसत 523 रन बनाए। टीम इंडिया के पास अब एक ऐसा बल्लेबाज था जो अकेले अपने दमपर मैच का रुख पलट सकता था। जिसके बाद सलेक्टर्स ने भी 23 साल के सचिन पर भरोसा जताते हुए उन्हें टीम इंडिया की कमान सौंप दी लेकिन बल्लेबाजी की तरह कप्तानी की पिच पर सचिन कामयाब नहीं रहे। उसके बाद उन्हें जल्द ही कप्तानी से हटा दिया गया।
1999 में पिता के निधन के बाद भी वर्ल्डकप में लिया हिस्सा
1999 वर्ल्ड कप खेलने के लिए सचिन कीनिया में थे, तभी पिता रमेश तेंदुलकर का देहांत हो गया। अंतिम संस्कार के लिए सचिन घर लौट आए और वापस नहीं जाना चाहते थे, लेकिन घरवालों ने समझाया की देश पहले और सचिन अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए वापस वर्ल्ड कप खेलने पहुंचे।
2001 में बने वनडे क्रिकेट के पहले 10 हजारी
तमाम परेशानियों के बाद भी सचिन के बल्ले का जौहर कायम था। मार्च 2001 में सचिन वनडे क्रिकेट के पहले दस हजारी बने। इसके 2003 वर्ल्ड कप में भी सचिन के बल्ले से जमकर रन बरसे। सचिन की शानदार बल्लेबाजी की वजह से सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही लेकिन फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने के लिए सचिन को गोल्डन बैट से नवाजा गया।
टेनिस एल्बो ने कुछ समय के लिए किया क्रिकेट से दूर
सचिन के करियर में एक दौर ऐसा भी आया जब चोट की वजह से सचिन को उनके करियर में काफी परेशान उठानी पड़ी। टेनिस एल्बो से जूझ रहे सचिन के लिए बल्ला उठान भी मुश्किल हो गया था, लेकिन सचिन ने हिम्मात नहीं हारी। उन्होंने ना सिर्फ वापसी की बल्कि इतनी जबरदस्त वापसी की कि वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक जड़ डाला।
मिशन वर्ल्ड कप 2011
सचिन का सबसे बड़ा सपना था देश के लिए वर्ल्ड कप जीतना। 2 अप्रैल 2011 ये वो तारीख है जब सचिन ने देशके लिए वर्ल्डकप जीतने का अपना सपना भी पूरा कर लिया और टीम इंडिया के हर खिलाड़ी ने इस वर्ल्ड कप को सचिन को डेडीकेट किया। इसके बाद 16 मार्च 2012 को बांग्लादेश के खिलाफ मास्टर ने शतकों के शतक लगाया। वहीं टेस्ट क्रिकेट में भी 200 टेस्ट खेलने के साथ ही सचिन के एकलौते क्रिकेटर हैं।
सचिन को दी शानदार विदाई
16 नंवबर 2013 शनिवार का दिन जब सचिन आखिरी बार मैदान पर उतरे थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने आखिरी टेस्ट में सचिन ने 74 रनों की शानदार पारी खेली थी। बीसीसीआई और टीम इंडिया के बाकी खिलाड़ियों ने सचिन के विदाई टेस्ट को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैच के बाद साथी खिलाड़ियों ने सचिन लैप ऑनर दिया। कंधे पर उठाकर वानखेड़े स्ट्डियम का चक्कर लगाया।
इसके बाद मास्टर ब्लास्टर ने अपने इस आखिरी लम्हों को शब्दों में पिरोया। सचिन ने अपने फैंस धन्यवाद करते हुए कहा कि सचिन-सचिन की आवाज उनके कानों में जिंदगी भर गूंजती रहेगी। अपने 24 साल के इस शानदार सफर के दौरान सचिन ने अपने चाहनेवालों को कुछ ऐसे यादगार पल दिए हैं जो उनके साथ हमेशा जिंदा रहेंगे।
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