किसी खेल के प्रति सच्चा समर्पण ही उस खेल जुड़े खिलाड़ी को महान बनाता है। ऐसा ही खिलाड़ी भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं, जिन्होंने इस खेल के लिए ना जाने की कितनी ही कुर्बानियां दी होगी। ऐसी ही एक बड़ी कुर्बानी उन्होंने साल 1999 विश्व कप के दौरान दी थी जब टूर्नामेंट के बीच में ही 19 मई को उन्हें खबर मिली की उनके पिता रमेश तेंदुलकर अब इस दुनिया में नहीं रहे।
उस समय सचिन की उम्र महज 26 साल थी और टूर्नामेंट के बीच इस दुखभरी खबर को सुनकर वह टूट गए। ऐसे में उन्हें पिता के अंतिम संस्कार के लिए वापस भारत लौटना पड़ा।
इस बीच भारतीय टीम विश्व कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना पहला मैच गंवा चुकी थी। दूसरा मैच जिम्बाब्वे के साथ खेला जना था। 90 के दशक में जिम्बाब्वे मजबूत टीमों में से एक मानी जाती थी और इस मैच में टीम इंडिया सचिन के बिना ही मैदान पर उतरी और नतीजा यह हुआ कि टीम को तीन रनों से करीबी हार का सामना करना पड़ा।
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विश्व कप में लगातार दो हार के बाद भारतीय टीम पर टूर्नामेंट से बाहर होने के खतरा मंडराने लगा था। हालांकि सचिन अपने पिता का अंतिम संस्कार कर वापस इंग्लैंड लौट चुके थे।
टूर्नामेंट में भारत का तीसरा मैच 23 मई 1999 को आज ही के दिन केन्या के खिलाफ था। पिता के निधन का गम लिए हुए सचिन केन्या के खिलाफ मैदान पर बल्लेबाजी करने उतरे। सचिन इस मैच में अलग ही लग रहे थे मानों वह अपने पिता को याद कर रहें हों जिन्होंने सचिन को इस खेल प्रति समर्पित होना सिखाया था।
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भारत और केन्या के बीच यह मैच ब्रिस्टल के काउंटी ग्राउंड खेला गया था और सचिन ने इस मुकाबले में 101 गेंदों पर नाबाद 140 रनों की पारी खेली। सचिन के इस दमदार शतक के बदौलत भारत ने 328 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया और भारतीय टीम इस मुकाबले को 94 रन से जीतने में कामयाब रही थी।
इस शतकीय पारी के बाद सचिन ने मैदान पर अपना बल्ला उठाकर भावुक मन से अपने स्वर्गीय पिता को याद कर यह पारी उन्हें अपनी यह समर्पित की।
सचिन की इस बेहतरीन प्रदर्शन के बुते भारतीय टीम केन्या को हराने में सफल रही और सुपर सिक्स में अपनी जगह बनाई लेकिन इसके बाद टीम अपने खेल में निरंतरता नहीं रख पाई और नतीजा ये हुआ उसे विश्व कप से बाहर होना पड़ा।