सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया की फेडरल कोर्ट में वहां की बैट बनाने वाली कंपनी स्पार्टन के साथ चल रहा कानूनी केस को सुलझा लिया है। सचिन ने 2016 में स्पार्टन के सामान को प्रमोट करने के लिए करार किया था। सचिन ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि उसने करार में मौजूद नियमों का पालन नहीं किया और बल्लेबाज को रॉयल्टी तथा एंडोर्समेंट फीस भी नहीं दी जो दोनों के बीच तय की गई थी। साथ ही करार रद्द होने के बाद भी उनके नाम का उपयोग करती रही।
तेंदुलकर ने मुंबई और लंदन में कई तरह के प्रमोशन कार्यक्रम किए और इस दौरान वह किसी और खेल का सामान बनाने वाली कंपनी के साथ करार नहीं कर सके।
यह भी पढ़ें- साउथ अफ्रीका महिला टीम का वेस्टइंडीज दौरा हुआ स्थगित
सचिन ने अपने दावे में स्पार्टन कंपनी और उसके निर्देशक कुणाल शर्मा तथा लेस गलाब्रेथ पर अनुबंध तोड़ने, गलत व्यवहार, आज्ञापत्र को खत्म करने के साथ ही तेंदुलकर का ट्रेड मार्क जिसमें सचिन अपने स्क्वायरकट खेलते नजर आ रहे को रद्द करने की बात कही थी।
सेटलेमेंट के मुताबिक, स्पार्टन की कुछ कंपनियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल कर लिया है और कोर्ट के आदेश को मानने की बात कही है जिसमें सचिन का नाम, फोटो और सचिन का नाम लिए गलत एंडोर्समेंट न करना शामिल है। स्पार्टन ने साथ ही सचिन के फोटो वाले पंजीकृत ट्रेडमार्क को भी रद्द कर दिया गया है।
यह भी पढ़ें- जुलाई में इंग्लैंड दौरे पर होने वाली टेस्ट सीरीज तय समय पर ही होगी : वेस्टइंडीज
लेस ने कंपनी की तरफ से कहा, "स्पार्टन सचिन से उनके स्पांसरशिप करार के उल्लंघन को लेकर माफी मांगती है और सचिन का इस मामले के निपटने तक धैर्य बनाए रखने के लिए धन्यवाद देती है। स्पार्टन कंपनी सार्वजनिक तौर पर यह कबूल करती है कि उसका सचिन के साथ 17 सितंबर 2018 के बाद से कोई करार नहीं है।"
सचिन की मैनेजमेंट कंपनी एसआरटी स्पोटर्स मैनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मृनमॉय मुखर्जी ने एक बयान में कहा, "सचिन इस मामले को खत्म कर और इस मामले में एक मित्रतापूर्ण समाधान पर पहुंच कर काफी खुश हैं।"