दुबई: भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि सचिन तेंदुलकर को पता नहीं था कि दोहरे , तिहरे शतक या 400 रन कैसे बनाते हैं हालांकि उनमें इन बुलंदियों को छूने की क्षमता थी लेकिन वह मुंबई स्कूल आफ क्रिकेट में फंसे थे ।
कपिल ने खलीज टाइम्स से कहा , मुझे गलत मत समझिये लेकिन मेरा मानना है कि सचिन ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया । मेरा हमेशा से मानना रहा है कि उसने जो किया, वह इससे कहीं ज्यादा कर सकता था ।
उन्होंने कहा , वह बांबे क्रिकेट से चिपका रहा । उसे साफ सुथरा क्रिकेट खेलने वाले बंबई के खिलाडि़यों की बजाय विवियन रिचड्र्स के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिये था।
भारत को 1983 विश्व कप दिलाने वाले कप्तान कपिल ने कहा , सचिन कहीं बेहतर खिलाड़ी था लेकिन उसे सिर्फ शतक बनाना आता था । उसे नहीं पता था कि दोहरे, तिहरे शतक या 400 रन कैसे बनाते हैं।
कपिल ने कहा कि वह सचिन को वीरेंद्र सहवाग की तरह खेलने की सलाह देते । उन्होंने कहा , सचिन में क्षमता थी । वह तकनीकी रूप से मजबूत था लेकिन मुझे लगता है कि वह सिर्फ शतक बनाने उतरता था । रिचड्र्स की तरह वह बेरहम नहीं था बल्कि परफेक्ट क्रिकेटर था। यदि मैं उसके साथ ज्यादा समय बिता पाता तो मैं उससे जरूर कहता कि वीरेंद्र सहवाग की तरह खेलो । तुम कहीं बेहतर क्रिकेटर बनोगे ।
कपिल ने यहां शेन वार्न, वसीम अकरम और इयान बाथम की मौजूदगी में जुमेइरा होटल के कोव बीच क्लब पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही ।
वार्न ने कहा कि तेंदुलकर खास थे । उन्होंने कहा, वह बेहतरीन खिलाड़ी है और मैने अपने 20 साल के कैरियर में उसके जैसा बल्लेबाज नहीं देखा । वह तेज गेंदबाजों और स्पिन का बखूबी सामना करता था और गेंद को भांपने की उसकी क्षमता गजब की थी । वह शानदार खिलाड़ी था और नब्बे के दशक में गेंदबाजों पर उसका आतंक रहा । उसने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन खेला ।
तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने खेद जताया कि उन्हें तेंदुलकर के खिलाफ ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला ।
उन्होंने कहा , वकार युनूस और मुझे यह मलाल रहेगा कि हम करीब 10 साल तक तेंदुलकर के खिलाफ टेस्ट नहीं खेल सके ।
उन्होंने कहा , हमने उसके खिलाफ खेला जब 1989 में उसने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया । वह उस समय 16 साल का था । हमने 1999 में सचिन के खिलाफ टेस्ट खेला । वह सर्वश्रेष्ठ था और 100 अंतरराष्ट्रीय शतक उसकी प्रतिभा की बानगी देते हैं ।
बाथम ने कहा , मेरी नजर में विव रिचड्र्स सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे । उनसे बेहतर कोई नहीं था । जब मैने शुरूआत की तब रिचड्र्स और सुनील गावस्कर थे । उनके बाद ब्रायन लारा और तेंदुलकर आये ।