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श्रीसंत के विश्व कप विजयी कैच पर उथप्पा को नहीं था भरोसा, बोले - किस्मत थी साथ

क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेंट का वर्ल्ड कप साल 2007 में पहली बार आयोजित किया गया और भारतीय टीम के लिए ये कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ।

Written by: India TV Sports Desk
Published : May 23, 2020 15:52 IST
श्रीसंत के विश्व कप...
Image Source : GETTY IMAGES श्रीसंत के विश्व कप विजयी कैच पर उथप्पा को नहीं था भरोसा, बोले - किस्मत थी साथ

"गेंद हवा में...... और श्रीसंत ने कैच लपक लिया है। इसी के साथ टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप का खिताब जीता लिया है।" ये लाइन 2007 T20 वर्ल्ड कप में रवि शास्त्री के मुंह से कमेंट्री के दौरान उस समय निकली थी जब भारत दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना था। 1983 के बाद ये पहला मौका था जब भारतीय टीम की झोली में वर्ल्ड कप आया था।

क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेंट का वर्ल्ड कप साल 2007 में पहली बार आयोजित किया गया और भारतीय टीम के लिए ये कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ। पहला ये कि भारत ने फाइनल में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को फाइनल में हराकर ये खिताब जीता था। दूसरा ये फाइनल मुकाबला मैच के आखिरी ओवर तक रोमांच से भरपूर था।

फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को 4 गेदों में 6 रन की जरूरत थी और गेंदबाजी कर रहे थे जोगिंदर शर्मा। पाकिस्तान का आखिरी विकेट शेष था और स्ट्राईक पर थे कप्तान मिस्बाह उल हक। ओवर की तीसरी गेंद जैसे ही जोगिंदर शर्मा ने फेंकी वैसे ही मिस्बाह ने शॉर्ट फाइन लेग की तरफ स्कूप शॉट खेल दिया और गेंद सीधे वहां खड़े श्रीसंत के हाथों में चली गई। इसी के साथ भारत बदकिस्मत टीम पाकिस्तान को 5 रन से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बन गया।

2007 T20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का रॉबिन उथप्पा भी हिस्सा थे और अब उन्होंने इस कैच को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। बीबीसी के दूसरा पॉडकास्ट पर बोलते हुए रॉबिन उथप्पा 2007 वर्ल्ड कप में श्रीसंत के द्वारा लपके गए इस विशेष कैच को याद किया। 

उथप्पा ने कहा, "ओवर की शुरुआत में, मैं लॉन्ग ऑन पर खड़ा था। मुझे याद है कि पहली गेंद जोगी ने वाइड फेंकी और मैंने कहा- 'मैन'। मैं प्रार्थना कर रहा था। हर गेंद, 15वें ओवर से मैं बस यही प्रार्थना कर रहा था कि बस हमें विकेट मिल जाए"

उन्होंने कहा, "जोगिंदर ने पहली गेंद वाइड फेंकी और मैंने कहा ठीक है। अब गेंद छक्के के लिए नहीं जानी चाहिए। फिर मिस्बाह ने छक्का जड़ दिया। मैंने कहा कम ऑन। उस स्थिति में पाकिस्तान को लय हासिल करनी थी और मैं अपनी टीम का समर्थन कर रहा था।"

उथप्पा ने आगे कहा, “मिस्बाह ने एक स्कूप शॉट मारा, और मैंने देखा कि वह बहुत ऊपर जा रहा है। मैंने देखा कि वह वास्तव में बहुत दूर नहीं जा रहा था। फिर मैंने देखा कि शॉर्ट फाइन लेग पर फील्डर कौन था और फिर मैंने देखा कि यह तो श्रीसंत था। उस समय तक श्रीसंत को टीम में कैच छोड़ने के लिए जाना जाता था। खासकर सबसे आसान कैच। मैंने उसे बहुत ही आसान कैच टपकाते देखा है।"

उन्होंने कहा, "जैसे ही मैंने श्रीसंत को देखा, मैंने विकेटों की तरफ दौड़ना शुरू कर दिया, और मैंने प्रार्थना करना शुरू कर दिया 'कृपया भगवान, उसे इस बार ये कैच पकड़ लेने दें'। यदि आप उसे उस कैच को लेते हुए देखते हैं, तो आप देख सकते हैं कि जब गेंद वास्तव में उसके हाथों में जाती है, तो वह वहां देख रहा होता है (हंसते हुए)। इसलिए, मैं अभी भी वास्तव में विश्वास करता हूं कि यह कुछ भी नहीं था, लेकिन किस्मत ने हमें उस विश्व कप में जीत दिलाई।"

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