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कुछ जिद्दी लोगों के कारण नहीं लागू हो सकीं लोढ़ा समिति की सिफारिशें: राय

राय ने क्रिकइंफो को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्होंने बीसीसीई के सदस्यों से अदालत के लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के आदेश के बाद कहा है कि उन्हें जो समस्या है उन्हें वो थोड़ा कम करें और एक बार फिर अदालत के सामने अपना पक्ष रखें।

Reported by: IANS
Published on: July 19, 2017 14:30 IST
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नई दिल्ली: सर्वोच्च अदालत द्वारा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए गठित की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय का कहना है कि उन्होंने बोर्ड के साथ मिलकर समिति की सिफारिशों को लागू करने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके और इसी कारण अंतत: उन्हें अदालत के पास ही जाना पड़ा। राय को लगता है कि उनके बोर्ड के सदस्यों के बीच सिफारिशों के बीच आम सहमति बनाने के सारे प्रयास एक तरीके से नाकाम रहे।

राय ने क्रिकइंफो को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्होंने बीसीसीई के सदस्यों से अदालत के लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के आदेश के बाद कहा है कि उन्हें जो समस्या है उन्हें वो थोड़ा कम करें और एक बार फिर अदालत के सामने अपना पक्ष रखें।

राय ने मौजूदा हालात के सवाल पर कहा, "मैं 30 जनवरी के बाद के बारे में ही बात कर सकता हूं, उससे पहले जो हुआ उस पर मैं कुछ नहीं कहूंगा। सर्वोच्च अदालत ने 30 जनवरी तक लोढ़ा समिति की सिफारिशों का लागू करने की कोशिश की, लेकिन कुछ कारणवश ऐसा नहीं हो सका। फिर हमारी नियुक्ति की गई हमारा काम था कि हम अदालत के 18 जुलाई 2016 के आदेश को लागू करें और उसके द्वारा मंजूर की गई लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करें।"

उन्होंने कहा, "हमें इसे लागू करने के लिए बीसीसीआई के विशेष आम बैठक में नियम पास करवाना पड़ता। अगर ऐसा 30 जनवरी से पहले हो गया होता तो हमारी जरूरत नहीं पड़ती। चूंकि यह फैसला बीसीसीआई पर लागू किया गया था तो वह इसके लिए तैयार नहीं हुए। तब हमने आम सहमति बनाने की कोशिश की। मैंने बीसीसीआई से आदेश के जिन पहलूओं से उन्हें परेशानी है उन्हें थोड़ा कम करने को कहा, लेकिन कहा कि आप नए संविधान को लागू करें और इसके बाद अदालत में अपील करते हुए कहें कि सिफारिशों को पर पुर्नविचार करें।"

राय ने कहा, "हमने उनसे कहा कि अदालत के आदेश का पालन करें और अगर आपको कुछ समस्याएं हैं तो अदालत के सामने रखें। मैंने उनसे कहा कि अगर आप संविधान लागू कर लेंगे तो अदालत में अपनी बात मजबूती से रख सकते हैं। तब आप कह सकते हैं कि हमें ये-ये सिफारिशें लागू करने में परेशानी आ रही है।"

राय ने कहा कि उनका यह प्रयास बोर्ड में मौजूद कुछ लोगों के कारण विफल रहा।

उन्होंने कहा, "यह प्रयास कुछ लोगों की हठ के कारण पूरा नहीं हो सका। चूंकि 26 जून को हुई एसजीएम में इन्होंने अदालत के फैसले को एक बार फिर टाल दिया तब हमें अदालत का रूख करना पड़ा क्योंकि हमारे पास कोई और चारा नहीं था।"

राय ने यहां अपनी असर्मथता भी जाहिर की और कहा, "मेरे पास संविधान को उन पर थोपने का अधिकार नहीं है। मैं उन्हें नया संविधान लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। अगर कोई कहे की सीओए अपना काम नहीं कर रही है तो हम ऐसा कैसे कर सकते हैं जब अदालत ही नहीं कर पाई। अब हमने अदालत में कहा है कि हमने कोशिश की, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका क्योंकि वह जिद्दी हैं और कुछ विघनटकारी तत्व ऐसा होने नहीं दे रह हैं।"

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