Monday, November 25, 2024
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Exclusive: रणजी में लगातार 3 बार 5 विकेट हॉल लेकर दीपक धपोला ने मचाया धमाल, जानिए क्या है उनका कोहली कनेक्शन

2 मैच 21 विकेट, 3 बार 5 विकेट हॉल, इन आंकड़ों पर भले ही आपको विश्वास ना हो रहा हो लेकिन ये हकीकत बयां करता रिकॉर्ड है उत्तराखंड के दीपक धपोला के नाम।

Reported by: Shradha Bagdwal
Updated on: November 15, 2018 13:53 IST
दीपक धपोला, विराट...- India TV Hindi
दीपक धपोला, विराट कोहली और राजकुमार शर्मा

2 मैच 21 विकेट, 3 बार 5 विकेट हॉल, इन आंकड़ों पर भले ही आपको विश्वास ना हो रहा हो लेकिन ये हकीकत बयां करता रिकॉर्ड है उत्तराखंड के दीपक धपोला के नाम। जी हां बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद पहली बार रणजी ट्रॉफी खेल रही उत्तराखंड को एक ऐसा धाकड़ गेंदबाज मिला है जिसने डेब्यू करते ही घरेलू क्रिकेट में ऐसी सनसनी मचाई कि हर कोई उसका कायल हो गया।

उत्तराखंड ने देहरादून में अपने पहले दो रणजी मैच खेले और दोनों में जीत हासिल की। पहले मैच में उत्तराखंड ने बिहार को 10 विकेट शिकस्त दी तो इसमें भी दीपक धपोला का सबसे अहम योगदान था। धोपाला ने उस मैच में 9 विकेट चटकाए थे। इसके बाद दूसरे मैच में भी उन्होंने अपनी शानदार लय जारी रखते हुए मणिपुर के खिलाफ 12 विकेट हासिल किए। दीपक लगातार तीसरी बार पारी में पांच या इससे ज्यादा विकेट चटकाए। अबतक दो रणजी मैचों में 21 विकेट ले चुके इस दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

सही लाइन और लेंथ पर करता हूं फोकस

उत्तराखंड के लिए विजय हजारे ट्रॉफी में 8 मैचों में 14 विकेट लेने वाले दीपक ने रणजी ट्रॉफी में भी अबतक उसी शानदार प्रदर्शन को जारी रखा है। अपनी कंसिस्टेंसी के बारे में बात करते हुए दीपक ने बताया,''वनडे क्रिकेट अलग होती है, विजय हजारे ट्रॉफी में वाइट बॉल से बॉलिंग करनी थी ऊपर से हमारे मैच भी गुजरात में थे तो वहां के विकेट को ध्यान में रखते हुए मैंने बॉल को सही लाइन और लेंथ पर डालने पर ध्यान दिया। लेकिन रेड बॉल क्रिकेट थोड़ा अलग हो जाता है। यहां पर हम अपने होम ग्राउंड पर खेल रहे थे तो हमें उसका फायदा भी मिला क्योंकि हमने यहीं कैंप किया था। मुझे पता था कि विकेट कैसा रहेगा। उसके मुताबिक मैंने अपने आप को तैयार किया। 

अपने 5 विकेट हॉल के बारे में बात करते हुए दीपक ने कहा कि,''जैसे एक बल्लेबाज का सपना होता डेब्यू में शतक जड़ना वैसे ही एक गेंदबाज चाहता है कि वो 5 विकेट हॉल हासिल करे। पारी में 5 विकेट लेने किसी सपने के सच होने जैसा था।''

कामयाबी का श्रेय कोच दिया कोच राजकुमार शर्मा को
दीपक अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने कोच राजकुमार शर्मा को देते हैं। 9 साल पहले क्रिकेट में करियर बनाने के लिए दीपक अपने होमटाउन बागेश्वर छोड़कर दिल्ली आ गए और वेस्ट दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में राजकुमार शर्मा की देखरेख में प्रैक्टिस करने लगे। उनकी देखरेख में दीपक ने 2016-17 सीजन में दिल्ली के रणजी ट्रॉफी कैंप भी किया लेकिन टीम में जगह नहीं बना पाए। इसके बाद अपने कोच की सलाह पर ही उन्होंने अपने राज्य उत्तराखंड का रूख किया।

दीपक धपोला

दीपक धपोला

विराट कोहली ने भी किया सपोर्ट
दीपक, विराट कोहली के कोच राजकुमार शर्मा के अंडर ही ट्रेनिंग करते हैं। वेस्ट दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस के दौरान दीपक ने नेट्स में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को भी गेंदबाजी की है। विराट के बारे में बात करते हुए दीपक ने बताया कि,''विराट मेरा बहुत सपोर्ट करते हैं, सीनियर होने के नाते मुझे गाइड भी करते रहते हैं। इतना ही नहीं वो मुझे क्रिकेट किट और बॉलिंग स्पाइक्स भी देते हैं।''

दिल्ली और बंगाल की टीम में जगह ना मिलने पर हुआ थे निराश
अपना राज्य छोड़कर 9 साल से दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे दीपक ने 2016-17 सीजन के लिए दिल्ली का रणजी कैंप किया। उन्हें स्टैंड बॉय में रखा गया लेकिन इसके बाद भी मौका नहीं मिला। दीपक इससे निराश जरूर हुए लेकिन उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। बंगाल की टीम में जगह बनाने की उम्मीद से दीपक ने कोलकाता लीग में भी हिस्सा लिया। वहीं उन्होंने एक सीजन में 9 मैचों में 45 विकेट और दूसरे सीजन में 10 मैचों में 52 विकेट हासिल किए लेकिन इस लावजाब प्रदर्शन के बाद भी उन्हें मौका नहीं दिया गया। इसके बाद अपने कोच और दोस्तों के सपोर्ट के दमपर वो इस बुरे दौर से भी बाहर निकले और उन्होंने खुद पर भरोसा कायम रखा।

दीपक धपोला

दीपक धपोला

6-7 साल की उम्र से शुरू किया क्रिकेट खेलना
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के भागीरथी के रहने वाले दीपक ने 6-7 साल की उम्र से टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू किया। उस समय बागेश्वर में कोई क्रिकेट एकेडमी भी नहीं थी लेकिन क्रिकेट के प्रति इतना जुनून था कि वो स्कूल बंक करके क्रिकेट मैदान पर ही नजर आते थे। इसके बाद 11वीं क्लास में दीपक ने क्रिकेट में प्रोफेशनली करियर बनाने की सोची और बेहतर सुविधाओं के लिए देहरादून आ गए लेकिन देहरादून में हालात कुछ ऐसे ही थे ऊपर से उत्तराखंड के पास एसोसिएशन भी नहीं थी। ऐसे में दीपक ने एक दोस्त के कहने पर दिल्ली में प्रैक्टिस करने की सलाह दी। जिसके बाद दीपक दिल्ली आ गए और कोच राजकुमार शर्मा की देखरेख में अपने टैलेंट निखारना शुरू किया।

परिवार से सपोर्ट मिला लेकिन लोगों के तानों से हुए परेशान
क्रिकेट में करियर बनाने को लेकर दीपक धपोला को अपने परिवार वालों से पूरा सपोर्ट मिला। हालांकि 6 महीने की उम्र में ही उनके पिता जी गुजर गए थे। जिसके बाद उनकी मां नीमा धपोला ने अकेले ही उनका पालन-पोषण किया और उन्हें कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। अपने परिवार वालों के बारे में दीपक ने बताया कि,''जब दिल्ली में लगातार प्रैक्टिस और अच्छे प्रदर्शन के बाद भी कामयाबी नहीं मिल रही थी तो लोग परिवार को ताने मारते थे कि बेटे की उम्र भी ज्यादा हो गई है अभीतक कुछ करता नहीं है जिसकी वजह से मुझे भी परिवार वाले ताने देते और कहते थे क्रिकेट करियर में कुछ नहीं हो रहा, घर वापस आजा यहीं पर तेरे लिए कोई काम देखेंगे। लेकिन अब मेरी कामयाबी के बाद मेरे परिवार बहुत खुश हैं और मेरा ये प्रदर्शन उन लोगों के भी जवाब है जो मुझे ताने दिया करते थे।''

दीपक धपोला

दीपक धपोला

जाहिर है दीपक का ये प्रदर्शन उन सभी सवालों उठाने वालों के लिए करारा जवाब है। उम्मीद करते हैं कि दीपक आगे भी अपना ऐसा ही दमदार प्रदर्शन जारी रखें ताकि ना सिर्फ रणजी ट्रॉफी में उत्तराखंड की जीत का सिलसिला बरकरार रहे बल्कि पहाड़ का ये लड़का क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा बने। 

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