नागपुर। पिछले सात वर्षों में तीसरी बार रणजी ट्राफी फाइनल खेलने जा रही सौराष्ट्र टीम के कप्तान जयदेव उनादकट ने कहा कि खिलाड़ियों की सोच में बदलाव से टीम के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। सौराष्ट्र का मनोबल इस बात से भी बढ़ा होगा कि टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले चेतेश्वर पुजारा, हरफनमौला रविन्द्र जडेजा और खुद उनादकट भारतीय टीम की ओर से खेल चुके हैं।
विदर्भ के खिलाफ फाइनल से पहले उनादकट ने कहा, ‘‘ सौराष्ट्र के लिये यह दशक किसी सपने की तरह रहा है। 10 साल पहले किसी ने सोचा नहीं होगा कि रणजी का फाइनल मुकाबला सौराष्ट्र और विदर्भ के बीच होगा। इससे पता चलता है कि देश में क्रिकेट का कैसे विस्तार हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह विश्वास होने लगा कि हम बड़ी टीमों को हरा सकते हैं। हमारी सोच में बदलाव आया है। पहले हम बड़ी टीमों के खिलाफ बड़ी हार से बचने के बारे में सोचते थे लेकिन इसमें अब बदलाव आया है क्योंकि टीम में कई महान खिलाड़ी शामिल हैं।’’
टीम के कोच सिंताशु कोटक ने कहा कि पुजारा और जडेजा जैसे अनुभवी खिलाड़ी युवाओं के साथ अपने विचार साझा कर रहे है। उन्होंने कहा, ‘‘ आपको टीम में नेतृत्व करने वाले 3-4 ऐेसे खिलाड़ी चाहिए जिनकी सोच अलग हो। खिलाड़ी किसी एक की बात सुन सुन कर ऊब जाते हैं। हमने टीम में सुधार के लिए काफी काम किया है। इसमें तेज गेंदबाजी और तेज गेंदबाज को मदद वाली पिच पर बल्लेबाजी का अभ्यास शामिल है। ’’
विदर्भ के कप्तान फैज फजल ने भी माना की टीम में ऐसे कई खिलाड़ी है जिससे युवा प्रेरणा ले सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ टीम में कई ऐसे खिलाड़ी है जिनसे प्रेरणा ली जा सकती है। पिछले दो वर्षों से हर मैच में किसी ना किसी खिलाड़ी ने जिम्मेदारी उठायी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ अक्षय वाडकर ने तीन शतक लगाये, सरवटे ने अहम शतक बनाया और पांच विकेट लिए। अक्षय वखारे ने अच्छा प्रदर्शन किया। संजय शुरुआत में फॉर्म में नहीं थे, लेकिन उन्होंने क्वार्टरफाइनल में शतकीय पारी खेली।"
उन्होंने अनुभवी वसीम जाफर की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘ वह पिछले साल बहुत दर्द के बावजूद खेले थे। उनके कोहनी, घुटने और टखने में दर्द था। उन्होंने इस वर्ष अपने खानपान और प्रशिक्षण पर काम किया है। बल्लेबाजी के लिहाज से मुझे उनमें कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है। वह बहुत मेहनत करते हैं।’’