नयी दिल्ली: पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने मुख्य कोच रवि शास्त्री के इंग्लैंड दौरे पर 'सर्वश्रेष्ठ टीम' संबंधी बयान पर शुक्रवार को कहा कि उनके लिये यह मायने नहीं रखता कि कौन सर्वश्रेष्ठ है और कौन नहीं क्योंकि अभी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि टीम ने उससे क्या सीख ली और आगे कैसे बढ़ना है। भारतीय टीम को हाल के इंग्लैंड दौरे में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-4 से करारी हार का सामना करना पड़ा था लेकिन शास्त्री ने इस बीच यह कहकर नयी बहस छेड़ दी थी कि विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम पिछले 15—20 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ टीम है। सुनील गावस्कर सहित कई पूर्व क्रिकेटरों ने उनके इस बयान की आलोचना की थी।
भारत ने इंग्लैंड में आखिरी टेस्ट सीरीज 2007 में जीती थी और तब द्रविड़ कप्तान थे और उनका मानना है कि शास्त्री के बयान को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर दिया गया। द्रविड़ ने कहा,''मुझे लगता है कि इस पूरी बात को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर दिया गया और शास्त्री क्या सोचते हैं और क्या नहीं इस पर टिप्पणी करने में मेरी दिलचस्पी नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि हमने इन सब चीजों से क्या सीख ली है और अगली बार दौरा करने के लिये हमें क्या करना चाहिए।''
अपने जमाने के इस दिग्गज बल्लेबाज ने कहा, ''कौन सर्वश्रेष्ठ है और कौन नहीं ये मेरे लिये मायने नहीं रखता है। मैं इस तरह से नहीं सोचता क्योंकि सारी चीजों को बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश कर दिया गया। मेरे लिये महत्वपूर्ण यह है कि हमने इस सबसे सबक सीखा है और अगली बार इंग्लैंड दौरे पर हम क्या बेहतर कर सकते हैं।''
द्रविड़ ने हालांकि स्वीकार किया कि भारतीय टीम विशेषकर गेंदबाजी आक्रमण बहुत अच्छा है लेकिन मौकों का फायदा नहीं उठा पाने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, ''हमें तीन या चार साल में एक बार इंग्लैंड दौरा करने का मौका मिलता है और खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ को भी निराशा होती है क्योंकि कोई नहीं जानता कि अगले चार वर्षों में क्या होगा। इस बार वास्तव में हमारी टीम अच्छी थी। हमारा गेंदबाजी आक्रमण बेजोड़ था।''
द्रविड़ ने कहा, ''मुझे लगता है कि टीम को भी अहसास होगा कि उसके पास मौके थे। निश्चित तौर पर इस श्रृंखला के कुछ सकारात्मक पहलू भी रहे। हमारी गेंदबाजी और हमारा क्षेत्ररक्षण अच्छा रहा, विशेषकर हमारी कैचिंग बहुत अच्छी थी, लेकिन जैसे मैंने पहले कहा कि हमारे पास मौके थे लेकिन इस बार हम उनका फायदा नहीं उठा पाये। हमें चार साल में इंग्लैंड दौरे का मौका मिलता है तो इस लिहाज से यह निराशाजनक है।''