एक तरफ जहां पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। वहीं, दूसरी तरफ नस्लीय भेदभाव का मुद्दा भी गर्माया हुआ है जिसके खिलाफ दुनियाभर के क्रिकेटर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस गंभीर मुद्दे पर इंग्लैंड के तेज गेंदबाज क्रिस जोर्डन ने भी अपनी बात रखी है।
क्रिस जोर्डन का कहना है कि विविधता को अपनाने के मामले में इंग्लैंड की क्रिकेट टीम सबसे आगे है और जहां तक नस्लवाद की निंदा का सवाल है तो टीम के प्रत्येक सदस्य को पता है कि उन्हें इसमें भूमिका निभानी है।
जोर्डन ने ‘स्काई स्पोर्ट्स’ से कहा, ‘‘टीम के नजरिये से कहूं तो आप जो देखते हो आपको वही मिलता है। इसमें काफी विविधता है और मोर्गन ने इसकी अच्छी तरह अगुआई की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जागरूकता के मामले में हम सभी को भूमिका निभानी होगी और नस्लवाद विरोधी होना होगा। निश्चित तौर की इंग्लैंड की टीम में यह कोई मुद्दा नहीं है और जहां तक विविधता का सवाल है तो यह टीम एक अच्छा उदाहरण है।’’
गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद सभी जगह नस्लवाद के खिलाफ जाने-माने लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं जिसमें वेस्टइंडीज के क्रिस गेल, पूर्व कप्तान डैरेन सैमी जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।
डेरेन सैमी ने 2 जून को ICC से नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर ICC ऐसा नहीं करता तो वह इस समस्या का हिस्सा कहलाने के लिये तैयार रहें। यही नहीं, सैमी ने खुलासा किया था कि आईपीएल में वह नस्लीय भेदभाव का शिकार हो चुके हैं। सैमी ने बताया था कि जब वह आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम से खेला करते थे तो उन्हें और श्रीलंका के खिलाड़ी थिसारा परेरा को कालू कहकर पुकारा जाता था।
सैमी के बाद गेल ने भी 'नस्लभेद' के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। गेल ने कहा कि नस्लभेद सिर्फ फुटबाल में नहीं है बल्कि क्रिकेट में भी है। गेल ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, "अश्वेत लोगों की जिंदगी भी दूसरों की जिंदगी की तरह मयाने रखती है। अश्वेत लोग मायने रखते हैं। नस्लभेदी लोग भाड़ में जाएं।"
(With PTI inputs)