नई दिल्ली: महिला विश्व कप फाइनल में रविवार को इंग्लैंड के खिलाफ 86 रन की पारी खेलने वाली भारतीय बल्लेबाज पूनम राउत बचपन से सचिन तेंदुलकर की मुरीद रही हैं और उन्हें खेलता देखकर उन्होंने बल्लेबाजी की कई बारीकियां सीखी है। पूनम की इस पारी के बावजूद भारत को फाइनल में 9 रन से पराजय झोलनी पड़ी और उनके पिता गणेश राउत ने बताया कि इस दुख से वह अभी तक उबरी नहीं है और घर पर भी फोन नहीं किया। गणेश ने कहा, ‘हम भी उनके फोन का इंतजार कर रहे हैं। वह हार से इतनी दुखी हैं कि अभी तक हमसे भी बात नहीं की।’
पूनम ने टूर्नामेंट में 9 मैचों में 67.43 की औसत से 381 रन बनाए जिसमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल है और वह सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में पांचवें स्थान पर रही। मुंबई की रहने वाली पूनम बचपन से तेंदुलकर की मुरीद रही है और उनके पिता ने बताया कि वह उनकी बल्लेबाजी देखने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी। उन्होंने कहा, ‘बचपन से वह सचिन की फैन रही हैं। जब भी मौका मिलता, उनकी बल्लेबाजी देखतीं और सीखने की कोशिश करती थीं। उनके पास कई स्ट्रोक्स ऐसे हैं जो सचिन सर के बल्ले से देखने को मिलते थे।’ मुंबई के बांद्रा कुर्ला परिसर में अक्सर अर्जुन तेंदुलकर के साथ अभ्यास के दौरान पूनम को सचिन से मुलाकात का मौका भी मिला।
गणेश ने भारतीय टीम के प्रदर्शन को शानदार बताते हुए कहा कि इससे महिला क्रिकेट को लेकर लोगों की सोच बदलेगी। उन्होंने कहा, ‘पूनम ने जब खेलना शुरू किया तो कई लोगों को अजीब लगता था कि ये लड़की होकर क्रिकेट क्यों खेलती थी लेकिन मुझे उसकी प्रतिभा पर भरोसा था। मैं खुद क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन गरीबी और हालात के कारण नहीं बन सका। जब मैंने पूनम को खेलते देखा तो मुझे लगा कि मेरा सपना मेरी बेटी पूरा करेगी। पूनम ने 1999-2000 में कोच संजय गायतोंडे के मार्गदर्शन में खेलना शुरू किया और बोरिवली में दोनों टीमों के लड़कों के बीच वह अकेली लड़की खेलती थी।’
उन्होंने कहा कि कई लड़कों के माता-पिता ने उनसे कहा कि इसे लड़कियों के साथ खेलने भेजो लेकिन कोच ने उन्हें इस पर गौर नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘मैं या तो उसके मैच देखने नहीं जाता या दूर बैठता था। फिर 2004 में मुंबई की अंडर 14 और अंडर 19 लड़कियों की टीम में उसका चयन हो गया। इसके बाद उसने मुड़कर नहीं देखा।’