पूर्व कप्तान यूनिस खान की गिनती पाकिस्तान के दिग्गज क्रिकेटरों में होती है। यूनिस खान ने पाकिस्तान की ओर से लंबे समय तक क्रिकेट खेला और कई उपलब्धियां अपने नाम की। लेकिन एक पल ऐसा भी आया जब उन्हें साल 2009 में टीम के कप्तानी पद को त्यागना पड़ा। यूनिस ने कप्तानी छोड़ने को लेकर अब एक बड़ा खुलासा किया है। 42 वर्षीय यूनिस खान ने बताया कि उनकी गलती यह थी कि उन्होंने सच बोला और उन खिलाड़ियों के ग्रुप पर उंगली उठाई जो कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते थे।
यूनिस खान ने कहा कि उन्हें कभी भी सच बोलने का पछतावा नहीं हुआ क्योंकि यह उनके पिता ने उन्हें हमेशा सच्चा और विनम्र रहने की बात सिखाई। साल 2017 तक पाकिस्तान के लिए खेलने वाले यूनिस ने कहा कि खिलाड़ियों के उस ग्रुप को बाद में पछतावा हुआ।
यूनुस खान ने गल्फ न्यूज को बताया, "आप अक्सर जीवन में एक ऐसी स्थिति का सामना करते हैं जब आप सच बोलते हैं। आपको पागल करार दे दिया जाता है। मैंने उन खिलाड़ियों के एक समूह को उजागर किया जो देश के लिए कड़ी मेहनत करने से कतरा रहे थे।"
यूनुस ने कहा, "उन खिलाड़ियों को बाद में पछतावा हुआ और उसके बाद हम काफी समय तक टीम में साथ भी खेले। मुझे पता है कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। ये मैंने अपने पिता से सीखा है कि हमेशा सच बोलो और विनम्र रहो।"
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साल 2009 में यूनुस खान ने स्वीकार किया कि वह टीम की कप्तानी से नियंत्रण खो चुके थे। ऐसा माना जाता है कि टीम के 8 से 9 खिलाड़ी दिग्गज बल्लेबाज़ को कप्तानी से हटाने की साजिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, "मैंने उनसे कहा कि मुझे लगता है कि मेरा टीम पर कोई नियंत्रण नहीं है और अगर किसी का अपने खिलाड़ियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, तो कप्तान बने रहने का क्या मतलब है? मैंने उनसे यह भी कहा कि पिछले 3-4 महीने से बहुत कोशिश कर रहा हूं, न सिर्फ क्रिकेट के साथ, बल्कि इसके बाहर भी। मुझे भी खुद को साथ लाने के लिए समय चाहिए।"
यूनिस खान ने अपने खेल के दिनों में जावेद मियांदाद के योगदान के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि मियांदाद हमेशा उन्हें सुझाव दिया कि वे बड़े शतकों की तलाश करें और 3-अंक तक पहुंचने के बाद आराम न करें। उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी के करियर के शुरुआती स्टेज में सीनियर खिलाड़ियों का मार्गदर्शन बेहद अहम होता है।