नई दिल्ली: बिशन सिंह बेदी का नाम भारतीय क्रिकेट में बहुत ही सम्मान से लिया जाता है। बेदी उस स्पिन चौकड़ी का हिस्सा थे, जो 70 के दशक में दुनिया के शीर्ष बल्लेबाजों का औसत खराब किए हुए थी। वह बांए हाथ के फिरकी गेंदबाज तो थे ही लेकिन एक कप्तान के रूप में भी उनकी काफी चर्चा होती है। उन्हें 1976 में मंसूर अली खान पटौदी की जगह टीम की कमान सौपी गई।
बेदी का कहना है कि टाइगर पटौदी की कप्तानी में खेलते हुए उन्होंने भारतीय टीम को एकजुट करना सीखा।
बिशन सिंह बेदी ने 1993 में बिशन बेदी कोचिंग ट्रस्ट बनाया था जिसके फाउंडिंग चीफ पैट्रन टाइगर पटोदी ही थे। इस ट्रस्ट के 25 साल पूरे होने पर सात मार्च को दिल्ली में एक समारोह भी आयोजित किया गया, जिसे 'ट्रिब्यूट टू टाइगर' नाम दिया गया।
बेदी ने कहा, "पटौदी एक महान कप्तान थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। उन्होंने मुझे सिखाया की टीम को एकजुट कैसे करना है। हिंदुस्तान जैसे मुल्क मंे जहां विभिन्न संस्कृतियां और भाषाएं हैं, पटौदी ने टीम को एकजुट रखा। पटौदी ने टीम के ड्रेसिंग रूप में भारतीयता के जज्बे को पैदा किया।"
बेदी ने कहा, "मैंने पटौदी से यह भी सीखा की मैच जीतना आपका पहला लक्ष्य होना चाहिए। अगर आप मैच नहीं जीत सकते ता फिर आप ड्रॉ के लिए जाएं। पटौती भारतीय टीम को जीत की राह पर लेकर गए।"
उन्होंने भारतीय क्रिकेट में पटौदी के योगदान को अतुल्य बताया और भारतीय स्पिन चौकड़ी को निखारने का श्रेय भी उन्हें ही दिया।
बेदी ने कहा, "पटौदी पहले ऐसे कप्तान थे जिन्होंने भारतीय स्पिन चौकड़ी को निखारा। वह जानते थे कि हमारे पास विश्व स्तरीय तेज गेंदबाज नहीं है इसलिए स्पिन गेंदबाजों को बेहतर करना होगा।"