हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने दावा किया था कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपने लुभावने अनुबंध को बचाये रखने के लिये इतने बेताब थे कि वे एक खास समय के दौरान भारतीय कप्तान विराट कोहली और उनके साथियों पर छींटाकशी करने से डरते थे और इसके बजाय उनकी चाटुकारिता करते थे। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कुछ यादगार द्विपक्षीय मुकाबले हुए है लेकिन क्लार्क का मानना है कि जब भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भारत का सामना करते हैं तो उनकी निगाहें हर साल अप्रैल मई में होने वाले आईपीएल पर लगी रहती हैं।
क्लार्क ने इस बयान पर ऑस्ट्रेलिया के उप-कप्तान पैट कमिंस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी देश में क्रिकेट की छवि को धूमिल करने वाले गेंद से छेड़छाड़ कांड के नतीजों के बाद 'कम आक्रामक' खेलने के लिए उत्सुक थे।
कमिंस ने बीबीसी से कहा 'मुझे लगता है कि भारत के खिलाफ सीरीज खेलने से पहले शायद एक बड़ा कारक वह 6 महीने थे जब मीडिया से लेकर हर कोई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम पर टिप्पणी कर रहा था। और यह साफ था कि वह चाहते थे ऑस्ट्रेलियाई टीम थोड़ा कम आक्रामकर होकर मैदान से बाहर आए।'
कमिंस ने आगे कहा "मैं कहूंगा कि क्रिकेट के मैदान पर दोस्तों को जीतने या हारने की कोशिश से बड़ा कारक होता। लेकिन आप कभी नहीं जानते, कि कुछ खिलाड़ियों के लिए यह एक कारक हो सकता है।"
इससे पहले टिम पेन भी क्लार्क के इस बयान पर असहमती जताई थी। पेन ने कहा कि 2018-19 श्रृंखला के दौरान यह रणनीतिक फैसला था और इसके पीछे कोई और मकसद नहीं था। पेन ने ‘ईएसपीएनक्रिकइंफो’ से कहा, ‘‘मैंने ज्यादा लोगों को विराट के साथ ज्यादा अच्छा व्यवहार करते हुए नहीं देखा था या फिर उन्हें आउट नहीं करने की कोशिश करते हुए नहीं देखा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जिस भी गेंदबाज के हाथ में गेंद होती या फिर जब हम बल्लेबाजी करते, हम अपना सर्वश्रेष्ठ करके ऑस्ट्रेलिया के लिये जीत हासिल करने की पूरी कोशिश करते। मुझे नहीं पता कि कौन उनके लिये आसान था, हम निश्चित रूप से उसे उकसाकर किसी तरह की लड़ाई नहीं करना चाहते थे क्योंकि हमें लगता था कि ऐसा करने से वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है।’’