अपनी कोचिंग में भारतीय टीम को विश्व कप-2011 का खिताब दिलाने वाले साउथ अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज गैरी किर्स्टन ने कहा है कि कोचिंग एक नेतृत्व करने वाला पद है जिसके लिए इस बात की गहरी समीक्ष होनी चाहिए कि टीम और खिलाड़ी आगे कैसे बढ़ सकते हैं और उनको इसके लिए किस तरह का माहौल चाहिए। गैरी भारत के अलावा साउथ अफ्रीका टीम के भी कोच रहे चुके हैं।
डेली सन ने किर्स्टन के हवाले से लिखा है, "कोच को काफी सारी स्किल्स आनी चाहिए जो उसे एक पेशेवर टीम को हर विभाग में पूरी तरह से देखने का मौका दे।"
उन्होंने कहा, "इसमें सेशन और टूर्नामेंट्स की तैयारी, मैन-मैनेजमेंट, टीम कल्चर बनाना, संबंध बनाना, चयन, रणनीति और सपोर्ट स्टाफ, अभ्यास, ट्रेनिंग सुविधा, मीडिया, जैसी चीजें शामिल हैं जो एक टीम को अच्च स्तर पर अच्छा करने वाली पेशेवर टीम बनाती है।"
52 साल के इस कोच ने कहा, "कोच को टीम में मौजूद हर तरह के खिलाड़ियों को सफलता पूर्वक संभालना आना चाहिए ताकि हर खिलाड़ी को आगे बढ़ने का मोका मिले।
उन्होंने कहा, ''कोच पर टीम में ऐसा माहौल बनाने की जिम्मेदारी होती है जिससे उच्च स्तर का प्रदर्शन निकल सके। कोच पर टीम की सफलता की जिम्मेदारी होती है सिर्फ खिलाड़ियों की नहीं।"