25 जून, ये वो तारीख है जिसे कोई भारतीय फैन्स नहीं भूल सकता। 1983 में इसी दिन कपिल देव की अगुवाई में टीम इंडिया ने पहला वर्ल्ड कप जीता था। भारत ने फाइनल मुकाबले में दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को 43 रनों से लॉर्ड्स के मैदान पर धूल चटाई थी। भारत ने टूर्नामेंट की शुरुआत अंडर डॉग के रूप में की थी। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि भारत यह ट्रॉफी क्या फाइनल में भी पहुंच पाएगा। लेकिन कपिल देव के विश्वास और खिलाड़ियों की परफॉर्मेस से भारत ने ना सिर्फ फाइनल में जगह बनाई बल्कि चैंपियन टीम को धूल भी चटाई।
1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का पहला मुकाबला ही वेस्टइंडीज के खिलाफ था। टीम टूर्नामेंट की शुरुआत जीत के साथ करना चाहती थी ताकि खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा रहे, लेकिन दो बार की चैंपियन टीम से जब मुकाबला हो तो कोई भी टीम प्रेशर में आ सकती है। भारत ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 262 रन बनाए और विंडीज को 228 रन पर ढेर कर दिया। यह दृश्य देख किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन तब पता चल गया था कि यह टीम इस बार धमाल मचा सकती है।
भारत ने अगले मुकाबले में जिम्बाब्वे को मात दी, लेकिन तीसरे मुकाबले में उन्हें ऑसट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। भारत यहां तक तीन में से दो मैच जीत चुका था तो ऑस्ट्रेलिया से मिली हार से उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई। इसके बाद भारत दोबारा विंडीज से खेला और इस बार टीम इंडिया को 66 रन से बड़ी हार मिली। लगातार दो मैच हारने से खिलाड़ियों का मनोबल टूटा और इसका असर जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में देखने को मिला।
1983 वर्ल्ड कप का 5वें मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी की और महज 17 रन पर ही अपने 5 विकेट खो दिए थे, लेकिन इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कप्तान कपिल देव ने ऐसी करिशमाई पारी खेली जो आज भी फैन्स के जहन में है। कपिल देव ने 138 गेंदों पर 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से 175 रन की नाबाद पारी खेली। कप्तान की इस पारी ने एक बार फिर खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा दिया था। भारत ने जिम्बाब्वे को यह मैच 31 रनों से हराया।
इसके बाद भारत 1983 वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं हारा। जिम्बाब्वे के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। वहां उन्होंने मेजबान इंग्लैंड को 6 विकेट से हराया।
यह अंडर डॉग टीम अब फाइनल में पहुंच चुकी थी और उनका सामना दो बार की चैंपियन टीम वेस्टइंडीज के साथ था। विंडीज के खिलाफ खेले दो मैचों में से भारत को एक में हार और एक में जीत मिली थी।
फाइनल में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मात्र 183 रन बनाए। उस समय लग रहा था कि टीम यह मैच हार जाएगी और भारत का इतिहास रचने का सपना चकनाचूर हो जाएगा, मगर मदन लाल और मोहिंदर अमरनाथ ने घातक गेंदबाजी करते हुए विंडीज को 140 रन पर ही समेट दिया। भारत ने यह मैच 43 रन के बड़े अंतर से जीतते हुए इतिहास रच दिया। अमरनाथ को उनके लाजवाब प्रदर्शन के चलते मैन ऑफ द मैच के अवॉर्ड से नवाजा गया था।
पहली चीज हमेशा हर किसी को याद रहती है, यह भारत का पहला वर्ल्ड कप था तो फैन्स इसे तह उम्र याद रखेंगे।