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On This Day: सचिन की धमाकेदार बल्लेबाजी से 'रेगिस्तान' में उठ गया था तूफान, मैच हारकर भी फाइनल में पहुंचा था भारत

कोकाकोला कप 1998 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा तीसरी टीम न्यूजीलैंड की थी और भारत को इस टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने के लिए किसी भी हाल में इस मैच को जीतना था।

Edited by: India TV Sports Desk
Updated : April 22, 2020 12:20 IST
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Image Source : TWITTER Sachin Tendulkar

अप्रैल महीने की चिलचिलाती गर्मी में आज ही के दिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने एक बेहतरीन शतकीय पारी खेली थी। यह मुकाबला शारजाह क्रिकेट ग्राउंड पर 22 अप्रैल 1998 को खेला गया था। सचिन ने कोकाकोला कप के इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 131 गेंदों का सामना करते हुए धमाकेदार 143 रनों की पारी खेली थी लेकिन बावजूद इसके भारतीय टीम को इस मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।

सचिन के लिए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शेन वार्न, डेमियन फ्लेमिंग और माइकल कास्प्रोविच के सामने बल्लेबाजी करना आसान नहीं था लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी शतकीय पारी में 9 चौके और 5 शानदार छक्के लगाए। 

यही कारण है कि उनकी इस पारी को उनके करियर का सबसे खास शतक माना जाता है। क्योंकि सचिन की इस पारी की बदौलत ही भारतीय टीम इस टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने में सफल हो पाई थी।

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दरअसल कोकाकोला कप 1998 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा तीसरी टीम न्यूजीलैंड की थी और भारत को इस टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने के लिए किसी भी हाल में इस मैच को जीतना था या फिर भी किवी टीम से रन रेट के मामले में आगे निकलना था। 

टूर्नामेंट के इस छठे मैच में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और 7 विकेट के नुकसान पर 284 रनों का स्कोर खड़ा किया था। हालांकि इसके बाद भारत को 46 ओवर में 277 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम से सामने कड़ी चुनौती थी और दूसरी तरफ सचिन पक्के इरादे के साथ भारत को जीत दिलाने के लिए मैदान पर उतर चुके थे।

सचिन उस दिन नहीं रुकने वाले थे उनके दिमाग में बस भारत की जीत थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका और भारतीय टीम 46 ओवर में 250 रन ही बना पाई। हालांकि तबतक सचिन अपना काम कर चुके थे। भारत को न्यूजीलैंड से रन रेट के मामले में आगे निकलने के लिए कम से कम 237 रनों की बाधा को पार करना था और ऐसा होते ही भारतीय टीम का फाइनल में पहुंचना तय हो गया। 

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अपनी इस ऐतिहासिक पारी को याद करते हुए बाद में सचिन ने कहा था कि, ''शारजाह में अप्रैल में बहुत गर्मी होती है, बल्लेबाजी के दौरान मैं उस गर्मी को महसूस कर रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं ड्रेसिंग रूम में जाते ही जूते खोलकर बर्फ से भरे बाल्टी में अपना पैर रख दूं।''

उन्होंने कहा, ''मेरे करियर का वह एक ऐसा अनुभव है जब मैंने महसूस किया था कि उस तरह के कंडिशन में दुनिया के नंबर एक टीम के खिलाफ खेलना कितना मुश्किल था।''

सचिन ने कहा, ''उस दौरान में हमें शारजाह में खेलने की आदत थी। मुझे याद है इस मैच के बाद हम फाइनल खेलने के लिए अगले ही दिन दुबई के लिए रवाना हुए जो यह हमारे लिए काफी मुश्किल था क्योंकि हम बहुत थके हुए थे।''

इसके बाद फाइनल मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर खिताब पर अपना कब्जा जमाया था।

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