भारतीय क्रिकेट में वीरेंद्र सहवाग को हमेशा एक आक्रमक ओपनर बल्लेबाज के रूप में याद रखा जाएगा। सहवाग की विस्फोटक बल्लेबाजी के कारण ही उन्हें आज भी कई नामों से पुकारा जाता है जिसमें से एक बहुत ही मशहूर है, 'मुल्तान का सुल्तान'। यह नाम उन्हें आज से 16 साल पहले 2004 में मिली थी जब सहवाग ने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट मैच के दूसरे ही दिन तिहरा शतक जड़कर इतिहास रच दिया था।
आज ही के दिन 29 मार्च को सहवाग टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे। इसके बाद से वे क्रिकेट की दुनिया में मुल्तान के सुल्तान के नाम से मशहूर हो गए।
इस पारी के साथ ही सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में एक ही झटके में सुनील गावस्कर (236) , सचिन तेंदुलकर (241) और वीवीएस लक्ष्मण (281) के जैसे दिग्गजों के रिकॉर्ड को चकनाचूर कर दिया।
हालांकि सहवाग उस समय टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन के सार्वधिक निजी स्कोर के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए जो कि 380 रनों का था। इस मुकाबले में सहवाग ने 375 गेंदों में 309 रनों की पारी खेली थी। इस दौरान सहवाग ने 531 मिनट तक क्रिज पर समय बिताया था। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दौरान 39 चौके और 6 छक्के लगाए थे।
मुल्तान टेस्ट में सहवाग के रूप में भारत को तिसरा झटका लगा था। इस समय तक भारतीय टीम ने अपने स्कोर बोर्ड पर तीन विकेट खोकर 509 रन जोड़ चुकी थी।
हालांकि सहवाग के तिहरे शतक के अलावा इस दिन को राहुल द्रविड़ के एक विवादित फैसले के लिए भी याद किया जाता है।
दरअसल इस मैच में सहवाग के तिहरे शतक के बाद भारतीय बेहद ही मजबूत स्थिति में पहुंच गई थी और टीम के कप्तान द्रविड़ ने अपनी पहली पारी को पांच विकेट पर 675 रन बनाकर घोषित करने का फैसला किया लेकिन मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर इससे बेहद नाराज हो गए।
द्रविड़ ने पारी को उस समय घोषित किया जब सचिन 194 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे और अपने दोहरे शतक से महज 6 रन दूर थे लेकिन कप्तान द्रविड़ ने पारी घोषित कर दिया और उन्हें पवेलियन वापस लौटना पड़ा।
माना जाता है कि द्रविड़ के इस फैसले से सचिन बेहद नाराज हुए थे और दोनों के बीच मनमुटाव की भी खबरें सामने आई थी। हालांकि दोनों के बीच का मतभेद खुलकर कभी सामने नहीं आया।
सहवाग और सचिन की शानदार बल्लेबाजी के दमपर भारत ने पाकिस्तान को मुल्तान टेस्ट में 52 रन से हराया था।