भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के मैदान पर वर्ल्ड कप 2003 का फाइनल मुकाबला खेला गया था। इस मुकाबले को ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने अपनी धुआंधार पारी के दम ऑस्ट्रेलिया को तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया। दोनों ही टीमों के लिए वर्ल्ड कप फाइनल तक का सफर लाजवाब था। ऑस्ट्रेलिया ने इस टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में बिना कोई मैच हारे जगह बनाई थी वहीं भारतीय टीम ग्रुप स्टेज में मात्र एक ही मैच हारा था और उस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने ही भारत को मात दी थी।
फाइन मुकाबले में भारत के पास ऑस्ट्रेलिया से बदला लेना का सुनहरा अवसर था। भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने फाइनल मुकाबले में टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का निर्णय लिया। सौरव गांगुली की सोच थी कि वो ऑस्ट्रेलिया को कम स्कोर पर रोकर आसानी से रनचेज कर लेगी, लेकिन फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया जैसी तगड़ी टीम को खुलकर खेलने का मौका देकर गांगुली ने गलती कर दी और विपक्षी टीम ने इसका जमकर फायदा उठाया।
ऑस्ट्रेलिया के लिए सलामी बल्लेबाजी करने उतरे एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने ताबड़तोड़ शुरुआत करते हुए पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की। ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका 105 के स्कोर पर लगा था। एडम गिलक्रिस्ट 48 गेंदों पर 57 रन बनाकर हरभजन सिंह का शिका बने थे। ऑस्ट्रेलिया ने यह स्कोर 14 ओवर में खड़ा कर दिया था ऐसे में टीम के कप्तान रिकी पोंटिंग के पास बड़े रन बनाने का सुनहरा मौका था।
पोंटिंग ने इस मौके को बुनाया पोंटिंग ने 121 गेंदों पर 4 चौकों और 8 छक्कों की मदद से नाबाद 140 रनों की धूआंधार पारी खेली। इस दौरान उन्होंने तीसरे विकेट के लिए मार्टिन (88*) के साथ 234 रनों की नाबाद साझेदारी भी की। पोंटिंग की इस लाजवाब पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवर में दो विकेट के नुकसान पर 359 रन बनाए। भारत ने फाइनल मुकाबले में 8 गेंदबाजों का इस्तेमाल किया था, लेकिन उनमें से सिर्फ हरभजन सिंह ही एकमात्र सफल गेंदबाज रहे थे जिन्होंने दो विकेट चटकाए थे।
360 रन के बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की उम्मीदें सचिन तेंदुलकर से जुड़ी हुई थी। सचिन इस टूर्नामेंट में काफी अच्छी फॉर्म में थे। ऑस्ट्रेलिया को भी पता था कि टार्गेट बड़ा है, लेकिन अगर वह सचिन को आउट नहीं कर पाए तो भारत मैच निकाल सकता है। सचिन जैसी बड़ी मछली को ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआत में ही फांस लिया।
मैक्ग्रा ने पहले ओवर की पांचवी गेंद पर सचिन को 4 के निजी स्कोर पर पवेलियन भेजा। सचिन के बाद मानों भारत की जीत की उम्मीदें खत्म ही हो गई थी। सचिन के आउट होने के बाद वीरेंद्र सहवाग (82) और राहुल द्रविड (47) को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर तक क्रीज पर नहीं टिक पाया और पूरी भारतीय टीम 39.2 ओवर में 234 के स्कोर पर ही सिमट गई। भारत ने यह मैच 125 रन से हारा और ऑस्ट्रेलिया ने तीसरी बार विश्व विजेता का ताज पहना।