टेस्ट क्रिकेट में नई गेंद को खेलना इतना आसान नहीं हो, लेकिन इस काम को आसान भारतीय पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने करके दिखाया। सहवाग नई गेंद का सामना भी काफी आक्रामकर होकर करते थे। सहवग से इस अंदाज से काफी सलामी बल्लेबाजों ने सीखा और आज ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर भी कहते हैं कि वह बतौर सलामी बल्लेबाज अगर इतना आक्रामकर होकर खेल पाते हैं तो वो सहवाग की बदौलत है।
लेकिन पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम का मानना है कि सहवाग से पहले एक पाकिस्तानी बल्लेबाज था जिसने सलामी बल्लेबाजों का माइंट सेट चेंज करने में मदद की थी। वसीम अकरम ने अफ्रीदी से यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा "टेस्ट क्रिकेट में सहवाग को काफी देर से आए थे, लेकिन 1999-20 में शाहिद अफ्रीदी ने सलामी बल्लेबाजों का नजरिया बदलना शुरू कर दिया था। अगर मैं भी गेंदबाज होता तो मुझे भी लगता कि मैं इसे आउट तो कर सकता हूं, लेकिन ये मुझे चौके-छक्के भी जरूर लगाएगा। वह कमजोर गेंदों को छक्का मारने में भी सक्षम था।"
अफरीदी ने 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में एक सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी शुरुआत की थी। लेकिन इस बल्लेबाज ने 1999-2000 में भारत के पाकिस्तान दौरे में टेस्ट बल्लेबाज के रूप में अपना नाम बनाया। अकरम ने खुलासा किया कि अफरीदी 1999 में पाकिस्तान के उस दौरे का हिस्सा नहीं था, लेकिन उन्होंने चयनकर्ताओं के खिलाफ जाकर इमरान खान के सुझाव पर भरोसा किया।
अकरम ने आगे कहा "दौरे के चयन से पहले मैंने इमरान खान को फोन किया। मैंने उनसे कहा कप्तान मैं शाहिद अफरीदी को दौरे पर ले जाना चाहता हूं लेकिन कुछ चयनकर्ता इसके खिलाफ थे। उन्होंने मुझसे कहा, 'आपको निश्चित रूप से उन्हें ले जाना चाहिए, वह 1-2 टेस्ट मैच जीतेंगे और उन्हें बल्लेबाजी करने के लिए प्रेरित करेंगे।' मैंने इमरान के साथ कभी टूर से पहले तो कभी टूर के दौरान चर्चाा की और उनके सुझाव हमेशा काम आते हैं।"
अफरीदी पहले ही मैच में अकरम के भरोसे पर खड़े हुए और उन्होंने चेन्नई टेस्ट मैच में 141 रनों की धमाकेदार पारी खेलते हुए अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा और पाकिस्तान को सीरीज में 1-0 की बढ़त भी दिलाई। उस पारी को याद करते हुए अकरम ने कहा "चेन्नई की पिच पर अफरीदी लाजवाब बल्लेबाजी कर रहा था और वो आगे बढ़-बढ़ कर कुंबले और जोशी को छक्के लगा रहा था।" पाकिस्तान ने यह सीरीज 2-1 से जीती थी।